
आज दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) मुख्यालय, सिविक सेंटर स्थित अपने कार्यालय से आम आदमी पार्टी के नेता अंकुश नरंग ने एक अहम प्रेस वार्ताको संबोधित किया। उन्होंने भाजपा पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि भारतीय जनता पार्टी लगातार दलित समाज के संवैधानिक अधिकारों कोकमजोर करने का प्रयास कर रही है। यह हमला सिर्फ किसी एक समिति या पार्षद पर नहीं है, बल्कि यह पूरे दलित समाज के आत्मसम्मान औरअधिकारों पर सीधा हमला है।
अनुसूचित जाति समिति में 35 की जगह सिर्फ 21 सदस्य क्यों?
अंकुश नरंग ने जानकारी दी कि एमसीडी में अनुसूचित जाति समाज के कल्याण और उनके अधिकारों को लागू करने के लिए एक तदर्थ समिति बनाईजाती है। नियमों के अनुसार इस समिति में 35 सदस्य होने चाहिए थे, लेकिन भाजपा ने इस नियम की अनदेखी करते हुए सिर्फ 21 सदस्यों के साथसमिति का गठन कर दिया। सबसे बड़ा अन्याय यह है कि इन 21 सदस्यों में से 14 दलित पार्षदों को जानबूझकर बाहर कर दिया गया। यह केवलएक संख्या का खेल नहीं है, बल्कि यह भाजपा की दलित विरोधी सोच का खुला प्रमाण है। इससे यह साफ़ होता है कि भाजपा को दलितों कीभागीदारी से डर लगता है और वह सत्ता में केवल अपने लोगों को बनाए रखना चाहती है।
मेयर ने रोकी नामांकन प्रक्रिया, फिर बदली समिति की संरचना
अंकुश नरंग ने बताया कि एमसीडी में विशेष और तदर्थ समितियों के चुनाव के लिए जब नामांकन की प्रक्रिया शुरू हुई, तो सभी को उम्मीद थी कि यहप्रक्रिया निष्पक्ष तरीके से पूरी होगी। लेकिन जैसे ही नामांकन की अंतिम तिथि नज़दीक आई, मेयर राजा इकबाल सिंह ने बिना कोई कारण बताए इसप्रक्रिया को रोक दिया। इसके बाद भाजपा ने अपने मुताबिक समिति की संरचना को बदल दिया और अपने मनमाफिक लोगों को उसमें जगह दे दी।
आम आदमी पार्टी के पार्षदों को डराकर तोड़ा गया
एमसीडी में अनुसूचित जाति के लिए कुल 42 सीटें आरक्षित हैं, जिनमें से 36 पार्षद आम आदमी पार्टी के थे। अंकुश नरंग ने आरोप लगाया किभाजपा ने डराने-धमकाने और लालच देने के जरिए आम आदमी पार्टी के कुछ दलित पार्षदों को तोड़ लिया। फिर भाजपा ने अनुसूचित जाति समितिमें 9 पार्षद अपने पक्ष के शामिल कर लिए। अब समिति में सिर्फ 7 आम आदमी पार्टी के, और 2 अन्य दलों (कांग्रेस व अन्य) के पार्षद हैं। इस तरहभाजपा ने दलितों की आवाज़ दबाने के लिए पूरी रणनीति बना ली – पहले पार्षदों को डराया, फिर समिति की संख्या कम की और फिर उसमें अपनेलोगों को बैठा दिया ताकि वे समिति के अध्यक्ष पद पर भी कब्ज़ा कर सकें।
यह सिर्फ राजनीति नहीं, संविधान पर हमला है
अंकुश नरंग ने कहा कि यह पूरा मामला केवल राजनीति तक सीमित नहीं है। यह संविधान में दिए गए अधिकारों पर सीधा हमला है। जब एकसमुदाय के 14 निर्वाचित प्रतिनिधियों को समिति से बाहर कर दिया जाता है, तो यह केवल सीटें कम करना नहीं, बल्कि पूरे समुदाय को पीछे धकेलनेकी कोशिश है। यह वही सोच है जो दलितों को बराबरी का दर्जा देने से कतराती है।
भाजपा को सिर्फ सत्ता चाहिए, न कि सामाजिक न्याय
अंकुश नरंग ने प्रेस वार्ता में यह भी कहा कि भाजपा बार-बार दिखा रही है कि उसे सिर्फ सत्ता में बने रहना है। इसके लिए वह किसी भी हद तक जासकती है चाहे दलितों को बाहर करना पड़े, नियम तोड़ने पड़ें या लोकतांत्रिक प्रक्रिया को कुचलना पड़े। भाजपा की सोच में सामाजिक न्याय, बराबरीऔर संवैधानिक मूल्यों की कोई जगह नहीं है।
आम आदमी पार्टी लड़ाई जारी रखेगी
अंकुश नरंग ने यह भी स्पष्ट किया कि आम आदमी पार्टी इस अन्याय के खिलाफ चुप नहीं बैठेगी। वह दलित समाज के अधिकारों के लिए हर स्तर परसंघर्ष करेगी चाहे वह सड़क पर हो या अदालत में। उन्होंने कहा कि यह समय है जब पूरे देश को जागरूक होना चाहिए और समझना चाहिए कि अगरआज दलितों का हक़ छीना जा रहा है, तो कल किसी और का भी छीना जा सकता है।
अंकुश नरंग की यह प्रेस वार्ता केवल एक राजनीतिक बयान नहीं था, बल्कि यह एक चेतावनी थी एक ऐसी चेतावनी जो सत्ता में बैठे लोगों को याददिलाती है कि संविधान किसी की निजी संपत्ति नहीं है। दलितों के अधिकारों की रक्षा करना सिर्फ एक दल का नहीं, बल्कि पूरे समाज का कर्तव्य है।आज ज़रूरत है कि हम सभी मिलकर आवाज़ उठाएं, क्योंकि जब एक वर्ग के अधिकारों को छीना जाता है, तो वह पूरे लोकतंत्र को कमजोर करता है।दलितों को उनका हक़ मिले, यह सुनिश्चित करना हर नागरिक की ज़िम्मेदारी है और इसी दिशा में अंकुश नरंग की यह आवाज़ एक सशक्त कदम है।