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आपातकाल की 50वीं बरसी के अवसर पर दिल्ली भारतीय जनता युवा मोर्चा ने राजधानी के नई दिल्ली नगरपालिका परिषद कन्वेंशन सेंटर में एकभव्य मॉक पार्लियामेंट का आयोजन किया। इस ऐतिहासिक कार्यक्रम में देश के विदेश मंत्री डॉ. एस.जयशंकर, दिल्ली भाजपा अध्यक्ष श्री वीरेंद्रसचदेवा और युवा मोर्चा दिल्ली अध्यक्ष श्री सागर त्यागी की गरिमामयी उपस्थिति रही। कार्यक्रम का उद्देश्य केवल एक स्मरण नहीं, बल्कि आज कीपीढ़ी को यह बताना था कि कैसे सत्ता की भूख में 1975 में संविधान, विचार और स्वतंत्रता को कुचला गया था।


डॉ. एस. जयशंकर का दो टूक संदेश – विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने युवाओं को संबोधित करते हुए आपातकाल को भारत के लोकतंत्र का सबसेकाला अध्याय बताया। उन्होंने कहा आपातकाल कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं था, यह हमारी जीवनशैली पर एक सुनियोजित हमला था। और यह सबएक ही परिवार की सत्ता रक्षा के लिए किया गया। उन्होंने कड़ा सवाल उठाते हुए कहा कि जो आज संविधान की प्रतियां हाथों में लेकर घूमते हैं, क्याउन्होंने कभी आपातकाल के लिए क्षमा मांगी है? डॉ. जयशंकर ने बताया कि कैसे इमरजेंसी के दौरान जनता के मौलिक अधिकारों को छीन लियागया, अदालतों की शक्तियों को कम किया गया और कानून को सत्ता के खिलौने में बदल दिया गया। उन्होंने युवाओं को चेताया कि अगर आपकीजान भी चली जाए, तो उस समय कोर्ट भी आपको राहत नहीं दे सकता था यही था इमरजेंसी का निर्मम रूप।


तीन खतरनाक संशोधन – विदेश मंत्री ने बताया कि इमरजेंसी में किए गए तीन संविधान संशोधन विशेष रूप से खतरनाक थे.
38वां संशोधन -आपातकाल के फैसले को अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती।
39वां संशोधन -प्रधानमंत्री के चुनाव को न्यायिक समीक्षा से बाहर कर दिया गया।
42वां संशोधन – मौलिक अधिकारों को सीमित कर दिया गया और न्यायपालिका की भूमिका को कमजोर किया गया।


वीरेंद्र सचदेवा का आह्वान- दिल्ली भाजपा अध्यक्ष श्री वीरेंद्र सचदेवा ने कहा मॉक पार्लियामेंट का आयोजन केवल प्रतीक नहीं, यह युवाओं कोजागरूक करने का प्रयास है – ताकि उन्हें पता चले कि कांग्रेस ने कैसे सत्ता के मोह में संविधान की हत्या की। उन्होंने युवाओं से अपील की कि वेमोबाइल की दुनिया से निकलकर देशभक्ति की भावना से जुड़ें, तभी भारत सशक्त बनेगा।

बिंदुओं में जयशंकर का मार्गदर्शन 
लोकतंत्र हमारे डीएनए में है – जनता ने ही इमरजेंसी के खिलाफ चुनाव के लिए सरकार को मजबूर किया।
पारिवारिक सत्ता सबसे बड़ा खतरा है – इंदिरा ही भारत है जैसी सोच ने देश को नुकसान पहुंचाया।
देश की बुराई विदेशों में करना राष्ट्रद्रोह है – इस प्रवृत्ति से बचना चाहिए।


समाज को सशक्त बनाइए – जागरूक समाज इमरजेंसी जैसी स्थिति दोबारा नहीं आने देगा।
राष्ट्र भावना सर्वोपरि है – ऑपरेशन सिंधूर जैसी घटनाएं राष्ट्रीय गर्व का कारण हैं।
इतिहास को सिर्फ बीता हुआ समय न मानें – इमरजेंसी जैसी मानसिकता आज भी जीवित है।
युवाओं की भागीदारी से संजीवनी – इस मॉक पार्लियामेंट में दिल्ली के विभिन्न कॉलेजों के छात्रों ने भाग लिया और जीवंत बहसों के माध्यम सेलोकतंत्र, संविधान और आपातकाल के इतिहास को वर्तमान से जोड़ा। कार्यक्रम में आपातकाल पर आधारित विशेष प्रदर्शनी भी लगाई गई, जिसकाडॉ. जयशंकर और श्री सचदेवा ने अवलोकन किया।


डॉ. जयशंकर का संदेश साफ था —स्वतंत्रता को हल्के में मत लीजिए, यह खून-पसीने और संघर्ष से मिली है। इस आयोजन ने न केवल इतिहास कोदोहराया, बल्कि युवाओं को वर्तमान और भविष्य के प्रति जागरूक भी किया। मॉक पार्लियामेंट के मंच से उठी यह आवाज अब केवल अतीत कास्मरण नहीं, बल्कि लोकतंत्र की रक्षा का संकल्प बन चुकी है।


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