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भारत की नवरत्न कंपनी स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (भारतीय इस्पात प्राधिकरण लिमिटेड) में हुआ करोड़ों रुपये का घोटाला यह दर्शाता हैकि किस प्रकार एक ईमानदार अधिकारी को भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज़ उठाने पर दंडित किया जाता है। इस लेख में हम जानेंगे कि किस प्रकारराजीव भाटिया जैसे अधिकारी, जिन्होंने देशहित में घोटाले का खुलासा किया, उन्हें ही भ्रष्ट करार देकर बलपूर्वक स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति दी गई।


घोटाले का खुलासा और ईमानदार अधिकारी का निलंबन – राजीव भाटिया, जो स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड में महाप्रबंधक पद पर थे, नेकंपनी में हो रहे करोड़ों के भ्रष्टाचार का खुलासा किया। उन्होंने दो बार देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर सूचना दी, लेकिन इसके जवाब मेंउन्हें निलंबित कर दिया गया। और तो और, उनकी स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति में यह झूठा आरोप जोड़ दिया गया कि वे स्वयं भ्रष्टाचार में शामिल हैं।


जांच की शुरुआत और फिर सब कुछ पहले जैसा – राजीव भाटिया ने केंद्रीय सतर्कता आयोग को पत्र लिखकर न्याय की गुहार लगाई। इसके बादजांच शुरू हुई और 26 अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया। लेकिन जैसे ही लोकसभा चुनाव समाप्त हुए, सभी निलंबित अधिकारियों को उनकेपदों पर बहाल कर दिया गया। यह दर्शाता है कि कार्रवाई केवल दिखावे की थी।


भ्रष्टाचार की जड़ – कंपनियों को कैसे दिया गया अनुचित लाभ- स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड का नियम है कि वह बुनियादी ढांचे कीपरियोजनाओं के लिए सस्ती दरों पर स्टील बेचती है। लेकिन इस नीति का गलत फायदा उठाकर कुछ कंपनियों ने करोड़ों का लाभ कमाया। उदाहरणके लिए, ‘वेंकटेश इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजना प्राइवेट लिमिटेड’ नामक कंपनी को मात्र 10 दिन के भीतर 1.5 लाख टन स्टील का ठेका दे दिया गया, जिसकी कीमत लगभग 750 करोड़ रुपये थी। यह कंपनी 1 अक्टूबर 2020 को अस्तित्व में आई और 12 अक्टूबर को ही उसे यह बड़ा अनुबंध मिलगया।
राजनीतिक संरक्षण और मीडिया की चुप्पी – जिस कंपनी ने भारतीय जनता पार्टी को 30 करोड़ रुपये का दान दिया, उसे कई परियोजनाओं का ठेकामिला, लेकिन किसी एजेंसी ने उससे पूछताछ नहीं की। न ही कंपनी के मालिक को गिरफ्तार किया गया। मीडिया ने भी इन मुद्दों पर चुप्पी साध लीहै।
‘अमृत काल’ में भ्रष्टाचार की वास्तविकता – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित ‘अमृत काल’ में जनता के साथ जो अन्याय हो रहे हैं, वे निम्नलिखित हैं
गरीबों के मकान बुलडोज़र से गिरा दिए जाते हैं।
मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री की गाड़ी में पानी भर दिया जाता है।
शव ले जा रही एंबुलेंस को रोका जाता है लेकिन विधायक की गाड़ी को रास्ता दिया जाता है।
सांसद और विधायक सरकारी अधिकारियों को मारते हैं।
सार्वजनिक पुल 90 डिग्री के कोण पर बना दिए जाते हैं।
सूरत और पुणे जैसे शहरों में जलभराव होता है लेकिन मीडिया कुछ नहीं दिखाती।
जांच एजेंसियों का दुरुपयोग- प्रवर्तन निदेशालय (प्रवर्तन निदेशालय) ने विपक्ष के 25 नेताओं पर छापे मारे, जिनमें से 23 नेता बाद में भारतीय जनतापार्टी में शामिल हो गए और उनके मामले समाप्त हो गए।


अन्य गंभीर मुद्दे 
मणिपुर में लगातार हिंसा हो रही है।
आदिवासी समुदाय के साथ अत्याचार हो रहे हैं।
राम मंदिर निर्माण के नाम पर घोटाला किया गया है।
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो) और प्रवर्तन निदेशालय की छापेमारी 95 प्रतिशत विपक्ष के नेताओं पर होती है।
बलात्कार के आरोपी नेताओं को पार्टी टिकट मिलते हैं।
रेल दुर्घटनाएं लगातार हो रही हैं लेकिन कोई रिपोर्ट नहीं आती।
बॉम्बे लोकल ट्रेनों में 11 वर्षों में 29,000 लोगों की मृत्यु हो चुकी है, लेकिन उस पर कोई चर्चा नहीं होती।


राजीव भाटिया जैसे ईमानदार अधिकारियों की कहानी यह बताती है कि नरेंद्र मोदी सरकार में भ्रष्टाचार का पर्दाफाश करना कितना कठिन है। जोसच्चाई बोलता है, उसे सज़ा दी जाती है और जो भ्रष्ट है, उसे पुरस्कार मिलता है। यह ‘अमृत काल’ वास्तव में लोकतंत्र और न्याय की हत्या का युग बनगया है। ‎


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