
दिल्ली में 10 तारीख को एक आम सी सड़क दुर्घटना हुई। एक ई-रिक्शा जिसमें कांच (शीशा) ले जाया जा रहा था, उसे पीछे से किसी वाहन नेटक्कर मार दी। टक्कर लगते ही वह शीशा टूट गया और सड़क पर बिखर गया। यह एक सामान्य हादसा था, जिसमें कोई सांप्रदायिक या धार्मिक बातनहीं थी। दिल्ली पुलिस ने इस पूरी घटना की जानकारी साफ़-साफ़ लोगों को दे दी और कहा कि इसमें कोई दंगा या जानबूझकर की गई घटना नहींहै।
लेकिन अफ़सोस की बात यह है कि दिल्ली के कानून मंत्री कपिल मिश्रा ने बिना सोचे-समझे, बिना किसी पुष्टि के इस हादसे को सांप्रदायिक रंग देनेकी कोशिश की। उन्होंने सोशल मीडिया पर ऐसे शब्द लिखे जिससे समाज में नफरत फैल सकती थी। जब पुलिस ने सच्चाई बताई थी, तो क्या उन्हेंजनता से माफ़ी नहीं मांगनी चाहिए थी? क्या एक और ट्वीट करके सही जानकारी नहीं देनी चाहिए थी? यह पहली बार नहीं हुआ है। इससे पहले साल2020 में भी कपिल मिश्रा ने ऐसे ही भड़काऊ बयान दिए थे, जिससे दिल्ली में दंगे हुए थे। उस समय उच्च न्यायालय के एक जज ने उनके खिलाफमुकदमा दर्ज करने का आदेश भी दिया था, लेकिन उसी दिन उस जज का तबादला कर दिया गया। यह एक बेहद गंभीर बात है जो यह दिखाती है किकिस तरह कुछ नेता अपनी राजनीति चमकाने के लिए समाज को बांटने की कोशिश करते हैं। जहाँ एक ओर कपिल मिश्रा जैसे लोग नफरत फैलाने मेंलगे हैं, वहीं दूसरी ओर चौधरी मतीन साहब जैसे नेता हैं जो पूरे देश को भाईचारे का संदेश दे रहे हैं। मतीन साहब पिछले 31 वर्षों से लगातार पाँचकांवड़ शिविर चला रहे हैं। वह और उनके साथी हर साल कांवड़ यात्रा में भाग लेने वाले श्रद्धालुओं की सेवा करते हैं। वे उन्हें पानी पिलाते हैं, खानाखिलाते हैं और विश्राम की व्यवस्था करते हैं।
चौधरी मतीन साहब जैसे लोग भारत की असली तस्वीर दिखाते हैं — जहां धर्म का मतलब सेवा, सद्भाव और एक-दूसरे की मदद करना होता है। वहबिना किसी भेदभाव के सेवा करते हैं, न कि धर्म देखकर। यही तो असली हिंदू-मुस्लिम एकता है, यही है वह भारत जिसकी कल्पना हमारे संविधान नेकी थी।
दिल्ली की जनता अब समझ चुकी है कि कौन लोग सच्चाई और सेवा की राजनीति करते हैं और कौन केवल नफरत फैलाकर वोट लेना चाहते हैं।जनता देख रही है कि नेताओं का असली चेहरा क्या है.
कोई लोगों की सेवा कर रहा है और कोई अफवाहें फैलाकर समाज में ज़हर घोल रहा है। अब यह जनता का कर्तव्य है कि वह ऐसे नेताओं को नकारेजो समाज को तोड़ना चाहते हैं और ऐसे लोगों का साथ दे जो समाज को जोड़ते हैं। नफरत फैलाने वालों को जवाब देना होगा। कपिल मिश्रा औरउपराज्यपाल साहब से यह उम्मीद की जाती है कि वे अपनी गलती माने और जनता से माफ़ी मांगें। क्योंकि जब आप सरकार में होते हैं, तो आपके हरशब्द की कीमत होती है और उसका असर समाज पर पड़ता है।
दिल्ली को आज ज़रूरत है- शांति, भाईचारा, विकास और रोजगार की। नफरत और झूठ से दिल्ली का कोई भला नहीं होने वाला। इसलिए हरनागरिक को जागरूक रहना होगा, अफवाहों से बचना होगा और सच्चाई का साथ देना होगा।
कपिल मिश्रा जैसे नेताओं को यह समझना होगा कि राजनीति सेवा का माध्यम है, समाज में आग लगाने का नहीं। और चौधरी मतीन साहब जैसे लोगहमें सिखाते हैं कि अगर इरादा नेक हो, तो धर्म, जाति या मज़हब की दीवारें भी एकता को नहीं रोक सकतीं।