
दिल्ली नगर निगम में विशेष (स्पेशल) और तदर्थ (एडहॉक) कमेटियों के गठन को लेकर एक बार फिर सियासत गरमा गई है। आम आदमी पार्टी नेमेयर राजा इकबाल सिंह पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि भाजपा जनहित के मुद्दों से भाग रही है और लोकतंत्र को कमजोर कर रही है। पार्टी केनेता और एमसीडी में नेता प्रतिपक्ष अंकुश नारंग ने प्रेस वार्ता कर कहा कि भाजपा केवल सत्ता का सुख चाहती है, उसे दिल्ली की जनता की कोईपरवाह नहीं है।उन्होंने कहा कि विशेष और एडहॉक कमेटियों के चुनाव के लिए 3 जुलाई तक नामांकन की प्रक्रिया चलनी थी, लेकिन मेयर नेअचानक 2 जुलाई को पत्र संख्या 358/MS/MCD/2025 के ज़रिए चुनाव को अनिश्चितकाल के लिए टाल दिया। यह निर्णय दर्शाता है कि मेयरसिर्फ एमसीडी की पूरी शक्तियां अपने पास रखना चाहते हैं और किसी अन्य जनप्रतिनिधि को अधिकार देना नहीं चाहते।
अंकुश नारंग ने भाजपा पर तीखा हमला करते हुए कहा, जब ‘आप’ सरकार थी तब भी भाजपा ने कमेटियों का गठन नहीं होने दिया, और अब जब वेसत्ता में हैं तब भी वही नीति अपना रहे हैं। भाजपा कभी नहीं चाहती कि दिल्ली की जनता के कार्य सुचारू रूप से हों। उन्हें न तो हाउस चलाना आता हैऔर न ही लोकतांत्रिक परंपराओं का सम्मान करना। उन्होंने याद दिलाया कि स्टैंडिंग कमेटी के चुनाव के समय भी भाजपा ने वही रवैया अपनाया था।हाईकोर्ट के स्पष्ट निर्देश के बावजूद भाजपा नेताओं ने हंगामा किया, निगम पार्षद पूरी रात चुनाव की प्रतीक्षा करते रह गए लेकिन चुनाव नहीं हो सका।इस दौरान भाजपा ने एक बार फिर लोकतांत्रिक मूल्यों की अवहेलना की थी।
अंकुश नारंग ने आरोप लगाया कि भाजपा के भीतर भी इस एकतरफा फैसले को लेकर नाराज़गी है। उन्होंने कहा, सूत्रों के मुताबिक भाजपा के कईपार्षदों ने भी इस बात पर असहमति जताई है कि मेयर राजा इकबाल सिंह सारी शक्तियां अपने पास रखना चाहते हैं और सबको दरकिनार कर रहे हैं।ऐसी मानसिकता लोकतंत्र के लिए घातक है।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि जब मेयर का चुनाव होना था, उस समय भी भाजपा ने बाधा डाली थी। यहां तक कि वर्तमान मुख्यमंत्री और उससमय की निगम पार्षद रेखा गुप्ता माइक तोड़ती हुई नजर आईं थीं और खुलेआम कहा था कि मेयर का चुनाव नहीं होने देंगे।
नेता प्रतिपक्ष ने अंत में मांग की कि स्पेशल और एडहॉक कमेटियों का गठन पारदर्शी तरीके से तत्काल किया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि यदि मेयरराजा इकबाल सिंह सत्ता के लालच से ऊपर नहीं उठ सकते तो उन्हें किसी भी कमेटी का चेयरमैन नहीं बनाया जाना चाहिए।
आम आदमी पार्टी का यह आरोप केवल सत्ता संघर्ष नहीं बल्कि दिल्ली की लोकतांत्रिक व्यवस्था और जनता के हितों से जुड़ा बड़ा सवाल है। अगरनिगम में कमेटियों का गठन नहीं होगा, तो नीतियां कैसे बनेंगी और जनहित के काम कैसे होंगे — यह प्रश्न अब दिल्लीवासियों के सामने है