
ओडिशा समेत देश के कई राज्यों में महिलाओं के खिलाफ अत्याचार के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। खासकर उन राज्यों में जहां भारतीय जनता पार्टी(BJP) की सरकार है – जैसे बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, उत्तराखंड और ओडिशा – वहां महिलाओं की सुरक्षा की स्थिति बेहद चिंताजनक बन चुकीहै।
ओडिशा में भाजपा सरकार के एक साल के शासन में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 2 लाख 14 हज़ार से अधिक मामले सामने आए हैं। इनमें सेबलात्कार के 3,054 और हत्या के 1,207 मामले दर्ज किए गए हैं। एक साल में ही 9 एसिड अटैक की घटनाएं भी सामने आई हैं। ये आंकड़े साफदिखाते हैं कि महिलाओं के खिलाफ अपराध कितनी भयावह गति से बढ़ रहे हैं।
बालासोर की बेटी की करुण कहानी
बालासोर ज़िले के फकीर मोहन कॉलेज की 20 वर्षीय छात्रा ने कॉलेज कैंपस में खुद को आग लगा ली। यह छात्रा बी.एड. की पढ़ाई कर रही थी औरबीजेपी-आरएसएस की छात्र इकाई एबीवीपी की पदाधिकारी भी थी। वह फिलहाल भुवनेश्वर के एम्स अस्पताल में 95 प्रतिशत जलने की हालत मेंभर्ती है, जहां उसकी स्थिति गंभीर बनी हुई है। यह छात्रा कई दिनों से कॉलेज के शिक्षा विभाग के प्रमुख (एचओडी) समीर कुमार साहू द्वारा यौनशोषण के दबाव का सामना कर रही थी। एचओडी ने उसे धमकी दी कि यदि वह यौन संबंधों के लिए राज़ी नहीं हुई, तो उसे गंभीर परिणाम भुगतनेहोंगे। छात्रा ने 30 जून को प्रिंसिपल दिलीप घोष को इस बारे में जानकारी दी, और 1 जुलाई को भाजपा के सांसद, राज्य सरकार और विभाग को भीइसकी शिकायत की। दुखद बात यह रही कि विभाग ने आरोपी शिक्षक से कोई सवाल नहीं किया, बल्कि छात्रा से ही लगातार पूछताछ की गई।विभाग ने उसे धमकाया कि यदि वह अपने आरोप साबित नहीं कर सकी तो उसी के खिलाफ कार्रवाई होगी। मानसिक यातना से परेशान होकर वहधरने पर बैठ गई और जब कोई सुनवाई नहीं हुई, तो उसने आत्मदाह कर लिया।
न्याय की मांग और राजनीतिक चुप्पी
इस घटना के बाद कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने एक सांसदों का प्रतिनिधिमंडल भेजा, जिसने पीड़िता के परिवार से मुलाकात कीऔर एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की है, जो जल्द सामने लाई जाएगी। कांग्रेस पार्टी हर मंच पर पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए प्रयास कर रही है, लेकिन जब कांग्रेस के कार्यकर्ता छात्रा से मिलने एम्स पहुंचे, तो भाजपा सरकार और एबीवीपी के कार्यकर्ताओं ने घेराबंदी कर मिलने से रोक दिया।
राष्ट्रपति से अपील
आज देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ओडिशा के दौरे पर हैं और वही एम्स भुवनेश्वर में कार्यक्रम में भाग ले रही हैं, जहां पीड़िता भर्ती है। ऐसे में सवालउठता है – क्या राष्ट्रपति जी पीड़िता से मिलने जाएंगी? क्या वे एक ओडिशा की बेटी के दर्द को सुनेंगी? यह वही छात्रा है जिसने प्रधानमंत्री मोदी सेमिलने की कोशिश की थी जब वह ओडिशा दौरे पर आए थे, लेकिन उसे रोक दिया गया। सवाल यह है कि उसे प्रधानमंत्री से मिलने क्यों नहीं दियागया?
अपराधियों को संरक्षण क्यों?
इस मामले में स्थानीय भाजपा सांसद ने कॉलेज के प्रिंसिपल को पत्र लिखकर कहा कि एचओडी पर गंभीर आरोप हैं, उसे पद से हटाया जाए, लेकिनआज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। इससे साफ है कि भाजपा सरकार और आरएसएस के प्रभाव में पुलिस-प्रशासन काम कर रहे हैं। अपराधी भाजपानेताओं की शरण में चले जाते हैं और उन्हें सजा से बचा लिया जाता है।
कड़ा कानून लेकिन कमजोर कार्रवाई
कई बार सख्त कानून बनाए गए, लेकिन उन पर अमल नहीं हुआ। जब तक पुलिस-प्रशासन पर भाजपा-आरएसएस और एबीवीपी के दबाव का अंतनहीं होगा, तब तक महिलाओं को न्याय मिलना मुश्किल है।
ओडिशा में यह एक छात्रा की नहीं, बल्कि पूरे समाज की लड़ाई है। एक बहादुर लड़की ने अन्याय के खिलाफ आवाज उठाई, लेकिन सरकार, विभागऔर पुलिस-प्रशासन ने उसे न्याय देने के बजाय चुप कराने की कोशिश की। आज यह जिम्मेदारी सिर्फ कांग्रेस या विपक्ष की नहीं, बल्कि देश की हरसंवेदनशील आत्मा की है कि वह इस बच्ची के लिए न्याय की मांग करे।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जी से देश उम्मीद करता है कि वह राजनीति से ऊपर उठकर आज एम्स भुवनेश्वर में भर्ती इस बेटी से मिलें, उसका हाल जानें औरपूरे देश को यह संदेश दें कि महिला सम्मान और न्याय से बड़ा कोई पद नहीं होता।