
कांग्रेस ने शनिवार को जीएसटी 2.0 पर व्यापक बहस के लिए जल्द ही एक आधिकारिक डिस्कशन पेपर जारी करने की मांग की. मुख्य विपक्षी दलसे सरकार से कहा है कि जीएसटी की मूल भावना गुड्स एंड सिंपल टैक्स होनी चाहिए न कि ग्रोथ स्प्रेसिंग टैक्स जो यह फिलहाल बना हुआ है. मुख्यविपक्षी पार्टी का यह बयान जीएसटी पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लाल किले से किए गए एक एलान के बाद आया है. 15 अगस्त के मौके पर पीएममोदी ने घोषणा की है कि इस साल दिवाली तक जीएसटी की दरें कम कर दी जाएंगी. इससे रोजमर्रा के उपयोग की वस्तुओं की कीमतें भी कम होजाएंगी. पीएम मोदी ने कहा कि सरकार मुकदमेबाजी और कर चोरी से ग्रस्त आठ साल पुरानी व्यवस्था में सुधार करना चाहती है.
विवाद हुआ समाप्त
कांग्रेस के संचार प्रभारी महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि कम से कम डेढ़ साल से उनकी पार्टी मौलिक बदलावों के साथ जीएसटी 2.0 की मांगकर रही है. 2024 के लोकसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस के घोषणापत्र में जीएसटी 2.0 के जिक्र के बारे में बताते हुए कांग्रेस नेता रमेश ने शुक्रवार कोकहा कि ऐसा लगता है. प्रधानमंत्री को आखिरकार यह बात समझ आ गई है कि जब तक यह परिवर्तन नहीं होगा और निजी उपभोग और निजी निवेशमें वृद्धि नहीं होगी. आर्थिक विकास में तेजी नहीं आएगी. उन्होंने एक बयान में कहा, “पिछले सात वर्षों में, दरों की बढ़ती संख्या और अनेक छूटों केकारण जीएसटी की भावना दूषित हुई है ऐसा प्रतीत होता है कि इस ढांचे ने कर चोरी को भी बढ़ावा दिया है. दरों की संख्या में भारी कमी होनीचाहिए. कांग्रेस नेता ने कहा कि दर संरचना का सरलीकरण आवश्यक है लेकिन यह इस तरह से किया जाना चाहिए कि राज्यों के लिए राजस्वअनिश्चितता कम से कम हो और वर्गीकरण विवाद भी समाप्त हो जो बहुत आम हो गए हैं.
किया जाना चाहिए समाधान
उन्होंने कहा, “जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर 31 मार्च, 2026 को समाप्त हो रहा है. दर संरचना में इस बदलाव के कारण उत्पन्न किसी भी राजस्वअनिश्चितता को दूर करने के लिए बड़े पैमाने पर बदलाव जरूरी हैं. रमेश ने कहा कि अर्थव्यवस्था में प्रमुख रूप से रोजगार पैदा करने वाले एमएसएमईकी व्यापक चिंताओं का सार्थक ढंग से समाधान होइसके अलावा, कांग्रेस नेता ने कहा कि राज्यों को बिजली, शराब, पेट्रोलियम और रियल एस्टेट कोभी जीएसटी के तहत कवर करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए.
ना चाहिए उन्होंने कहा कि जीएसटी में बड़े प्रक्रियागत बदलावों के अलावा, अंतरराज्यीय आपूर्ति पर लागू होने वाली सीमा को बढ़ाना भी जरूरी है. उन्होंने कहा कि कपड़ा, पर्यटन, निर्यात, हस्तशिल्प और कृषि इनपुट जुड़ी चुनौतियां सामने आईं हैं इनका समाधान किया जाना चाहिए.