
Odisha Rath Yatra latest News: ओडिशा के समुद्र तट पर स्थित यह धाम भगवान श्रीकृष्ण के जगन्नाथ स्वरूप को समर्पित है. जहां साथ मेंबलभद्र और सुभद्रा की भी पूजा होती है. हर वर्ष यहां आयोजित होने वाली रथ यात्रा में लाखों श्रद्धालु शामिल होते हैं।भारत के चार प्रमुख धामों मेंएक जगन्नाथ पुरी न केवल अपनी भव्यता और धार्मिक महत्व के लिए जाना जाता है. बल्कि अपने अद्भुत रहस्यों और चमत्कारों के लिए भी प्रसिद्ध हैओडिशा के समुद्र तट पर स्थित यह धाम भगवान श्रीकृष्ण के जगन्नाथ स्वरूप को समर्पित है जहां साथ में बलभद्र और सुभद्रा की भी पूजा होती है. हरवर्ष यहां आयोजित होने वाली रथ यात्रा में लाखों श्रद्धालु शामिल होते हैं.
यहां होते है विज्ञान से सारे नियम निरुत्तर
परंतु यह केवल आस्था का केंद्र नहीं बल्कि ऐसा स्थान है जहां विज्ञान के सारे नियम भी निरुत्तर हो जाते हैं शिखर पर लगा झंडा इस मंदिर के शिखरपर लहराता झंडा हमेशा हवा के विपरीत दिशा में रहता है. ऐसा क्यों होता है आज तक कोई नहीं जान सका. यह झंडा प्रतिदिन बदला जाता है औरयह सेवा किसी न किसी सेवायत द्वारा बिना किसी सुरक्षा उपकरण के मंदिर की ऊंचाई तक चढ़कर पूरी की जाती है. सामान्यतः समुद्र तट पर दिन में हवा ज़मीन की तरफ आती है और शाम को समुद्र की ओर लौट जाती है. लेकिन पुरी में यह नियम उलट है हवा दिन में समुद्र की ओर और रात को मंदिर की ओर बहती है.चक्र हमेशा दिखता है सीधा मंदिर के ऊपर स्थित सुदर्शन चक्र, जो लगभग 20 फीट व्यास का है, चाहे आप किसीभी दिशा से इसे देखें.
सात बर्तन रखे जाते है एक दूसरे के ऊपर
यह सदैव आपको सामने सीधा ही नजर आता है यह इतनी सटीकता से स्थापित किया गया है कि इसकी बनावट और दृष्टिकोण विज्ञान को भी सोचनेपर मजबूर कर देती है. खाना पकने की बात मंदिर में प्रसाद बनाने के लिए सात बर्तन एक दूसरे पर रखे जाते हैं. आश्चर्य की बात है कि सबसे ऊपर रखाबर्तन सबसे पहले पकता है जबकि नीचे की आंच उसे सबसे बाद में छूती है. यह विधि आज भी वैसी की वैसी जारी है. नहीं उड़ता है कोई विमान औरपक्षी – जगन्नाथ मंदिर की यह बात आपको आश्चर्य में डाल देगी कि मंदिर की गुम्बद के ऊपर से न तो कभी कोई विमान गुज़रता है और न ही इसके ऊपर कोई पक्षी बैठता या उड़ता हुआ नजर आता है. यह अब तक रहस्य ही बना हुआ है. इन सभी चमत्कारों और रहस्यों के कारण जगन्नाथ पुरी धाम केवल एक तीर्थस्थल नहीं, बल्कि एक दिव्य अनुभव है. जहाँ आस्था और अद्भुतता दोनों अपने चरम पर दिखाई देती हैं.