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मध्य प्रदेश में बीते 22 साल में अगर 15 महीनों को निकाल दिया जाए तो राज्य में भाजपा का वर्चस्व कभी कम होता नहीं दिखा. आलम यह रहा कि2018 में जब कांग्रेस ने लंबे समय बाद मध्य प्रदेश की सत्ता में वापसी की तो उसके और भाजपा के बीच सीटों का अंतर सिर्फ इतना ही था कि किसीएक बड़े नेता का पार्टी से अलग होना पूरी सरकार के गिरने का कारण बन जाता. हुआ भी कुछ ऐसा ही और 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जैसे हीकांग्रेस में बगावत का बिगुल फूंका, कांग्रेस की सरकार महज एक साल से कुछ ज्यादा समय बिताकर सत्ता से फारिग हो गई. मजेदार बात यह है किइस घटना को अब लगभग पांच साल हो चुके हैं. लेकिन कांग्रेस के अंदरखानों में तब की सरकार जाने का दर्द अब भी बाकी है.हाल ही में यह दर्दउभरकर तब सार्वजनिक तौर पर बाहर आ गया.

स्थिति हो सकती है गंभीर
जब एक न्यूज पोर्टल को दिए इंटरव्यू में कांग्रेस के नेता दिग्विजय सिंह ने कह दिया कि सिंधिया कांग्रेस को छोड़कर भाजपा में इसलिए शामिल होगए. क्योंकि मुख्यमंत्री कमलनाथ ने उनकी दी हुई ‘विशलिस्ट’ पर काम नहीं किया. इससे पहले कि कांग्रेस इन खुलासों को लेकर कुछ कह पाती, कमलनाथ ने कहा कि पुरानी बातें उखाड़ने का कोई फायदा नहीं है. हालांकि, उन्होंने अपनी इस टिप्पणी में एक तंज भी कस दिया. दिग्विजय सिंह नेइंटरव्यू के दौरान कहा कि 2020 की शुरुआत में कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच कुछ मतभेद पैदा हो गए थे. यह मतभेद विचारधारा केस्तर पर नहीं, बल्कि व्यक्तिगत थे. ऐसे में उन्होंने इसे सुलझाने के लिए एक प्रमुख उद्योगपति के घर पर बैठक तय की, ताकि कांग्रेस सरकार पर खतरापैदा न हो. दिग्विजय ने दावा किया कि उन्होंने और सिंधिया ने बैठक में कमलनाथ को एक साझा विशलिस्ट दी थी. जिसमें ग्वालियर-चंबल क्षेत्र केकुछ अटके हुए कामों का जिक्र था और इस पर जल्द सरकार की तरफ से काम होने की उम्मीद थी. दिग्विजय ने आरोप लगाने के अंदाज में कहा किइस लिस्ट पर उन्होंने दस्तखत भी किए थे। इसके बावजूद विश लिस्ट में दिए गए मुद्दों को नहीं सुलझाया गया. उन्होंने कहा कि अगर ग्वालियर-चंबलसे जुड़ी मांगें मानी जातीं तो शायद सरकार गिरने की नौबत नहीं आती. दिग्विजय सिंह ने कहा कि प्रचारित किया गया कि उनकी और सिंधिया कीलड़ाई से सरकार गिरी, जबकि हकीकत यह नहीं है। उन्होंने पहले ही चेतावनी दी थी कि स्थिति गंभीर हो सकती है.

सुलक्षा लिया जाता तो न गिरती सरकार
उन्होंने कहा कि यह मेरा दुर्भाग्य है कि मुझ पर हमेशा वही आरोप लगाए जाते हैं, जिनका मैं दोषी नहीं होता हूं. दिग्विजय सिंह ने कहा कि ऐसा नहीं हैकि मैंने यह कहा था कि इससे कोई खतरा नहीं होगा. मैंने चेतावनी दी थी कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस सरकार गिर सकती है. उन्होंने कहा कि अगरसिंधिया के मुद्दों को सुलझा लिया जाता तो शाद सरकार न गिरती. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें उम्मीद नहीं थी कि सिंधिया कांग्रेस कोछोड़कर भाजपा में चले जाएंगे. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने यह भी बताया कि 2018 में कांग्रेस की छोटे अंतर से जीत के बाद तब पार्टी के अधिकतरविधायक (230 सदस्यों वाली विधानसभा में से 114) ने मुख्यमंत्री पद के लिए कमलनाथ का समर्थन किया था. लेकिन सिंधिया की अपने करीबियोंके लिए कुछ अहम मंत्री पदों की मांग को कांग्रेस नेताओं ने स्वीकार कर लिया, ताकि कमलनाथ सरकार पहले साल बेहतर ढंग से काम कर सके. इसपूरे वाकये पर मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने एक्स पर पोस्ट में कहा “मध्य प्रदेश में 2020 में मेरे नेतृत्व वालीकांग्रेस सरकार गिरने को लेकर हाल ही में कुछ बयानबाजी की गई है. मैं सिर्फ इतना कहना चाहता हूं कि पुरानी बातें उखाड़ने से कोई फायदा नहीं. लेकिन यह सच है कि व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा के अलावा ज्योतिरादित्य सिंधिया को यह लगता था कि सरकार दिग्विजय सिंह चला रहे हैं. इसीनाराजगी में उन्होंने कांग्रेस के विधायकों को तोड़ा और हमारी सरकार गिराई.

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