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दिल्ली के मंत्री और आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता सौरभ भारद्वाज ने डी-सिल्टिंग के नाम पर बड़े घोटाले का आरोप लगाते हुए भारतीय जनता पार्टीऔर उनके पसंदीदा अफसरों को कटघरे में खड़ा किया है। उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष दिल्ली उच्च न्यायालय और सरकार दोनों ने डी-सिल्टिंग केकार्यों का थर्ड पार्टी ऑडिट कराने का स्पष्ट आदेश दिया था, फिर भी यह ऑडिट नहीं कराया गया।
सौरभ भारद्वाज ने आरोप लगाया कि बीजेपी के चहेते अधिकारी और पूर्व मुख्य सचिव नरेश कुमार ने जानबूझकर ऑडिट नहीं कराया क्योंकि इस काममें बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार हुआ था। उन्होंने माँग की कि मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता को चाहिए कि वह तत्काल इस पूरे मामले की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा(एसीबी) से निष्पक्ष जांच कराएं और नरेश कुमार से यह पूछें कि आदेश के बावजूद ऑडिट क्यों नहीं कराया गया। सौरभ भारद्वाज ने बताया कि उन्होंनेबीते वर्ष ही मुख्य सचिव को पत्र लिखकर डी-सिल्टिंग के कार्यों और उसकी गुणवत्ता पर संदेह जताया था। इसके बावजूद सरकार ने चुप्पी साधे रखीऔर अब जबकि जलभराव की स्थिति गंभीर है, तब भी ऑडिट की कोई रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की जा रही। उन्होंने यह भी कहा कि जब उन्होंने यहसवाल बीजेपी सरकार से पूछा तो दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने उल्टे उनसे ही सवाल किया कि पिछली बार ऑडिट क्यों नहीं हुआ। इसपर भारद्वाज ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर स्थिति स्पष्ट की और सरकार से दोबारा माँग की कि वह जांच कराएं कि ऑडिट को किसने और क्यों रोका।सौरभ भारद्वाज ने आरोपों को आगे बढ़ाते हुए कहा कि यह केवल लापरवाही नहीं, बल्कि सुनियोजित भ्रष्टाचार का मामला है जिसमें सरकारी धन कादुरुपयोग हुआ है और जनता को गंदे नालों व जलभराव की भारी कीमत चुकानी पड़ रही है।
इसके साथ ही सौरभ भारद्वाज ने एक अन्य मुद्दे पर भी केंद्र सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतकी अर्थव्यवस्था को “मरी हुई अर्थव्यवस्था” कहा है। उन्होंने कटाक्ष करते हुए पूछा कि अब प्रधानमंत्री और उनके समर्थक क्या कहेंगे? क्या अब भी यहकहा जाएगा कि ना कोई आया है, ना कोई घुसा है?


सौरभ भारद्वाज ने कहा कि अब सरकार को जवाब देना होगा। देश की साख और दिल्ली की व्यवस्था दोनों ही सवालों के घेरे में हैं। समय आ गया हैकि सरकार और अफसरशाही जनता के प्रति जवाबदेह बने।
सौरभ भारद्वाज ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि डी-सिल्टिंग के नाम पर जनता के साथ विश्वासघात हुआ है और इसकी जाँच किसी भी कीमत पर होनीचाहिए। यदि सरकार ने कुछ नहीं छुपाया है, तो वह ऑडिट रिपोर्ट सार्वजनिक करे और दोषियों को सजा दिलाए।

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