
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को त्रिनिदाद और टोबैगो में भारतीय समुदाय को संबोधित किया. स दौरान उन्होंने बिहार के ऐतिहासिक और सांस्कृतिकमहत्व पर जोर दिया. उन्होंने प्रवासी भारतीयों के साहस की तारीफ की और प्रधानमंत्री कमला प्रसाद-बिसेसर को ‘बिहार की बेटी’ कहा. उन्होंने बिहारके साथ उनके पैतृक संबंधों को याद किया. पीएम मोदी ने कमला प्रसाद से सरयू और महाकुंभ का जल कैरेबियाई देश में गंगा धारा में चढ़ाने कोकहा. उन्होंने कहा त्रिनिदाद और टोबैगो की प्रधानमंत्री कमला प्रसाद-बिसेसर के पूर्वज बिहार के बक्सर में रहते थे. कमला खुद वहां गई हैं लोग उन्हेंबिहार की बेटी मानते हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा आप सभी जानते हैं कि इस साल की शुरुआत में दुनिया का सबसे बड़ा आध्यात्मिक समागम महाकुंभहुआ था.
जल अपने साथ ले जाने का मिला सौभाग्य
मुझे महाकुंभ का जल अपने साथ ले जाने का सौभाग्य मिला है. मैं कमला जी से अनुरोध करता हूं कि वे सरयू नदी और महाकुंभ का पवित्र जल यहांगंगा धारा में अर्पित करें. इससे पहले 2012 में बक्सर जिले के इटाढ़ी प्रखंड के तहत अपने पैतृक गांव भेलूपुर आई थीं. भारतीय मूल के लोगों की एकबड़ी सभा को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा यहां मौजूद कई लोगों के पूर्वज बिहार से ही आए हैं. बिहार की विरासत न केवल भारत बल्किपूरी दुनिया के लिए गर्व की बात है. जनसभा में बड़ी संख्या में ऐसे लोग जुड़े थे जिनकी जड़ें किसी न किसी रूप में बिहार से जुड़ी थीं. प्रधानमंत्री मोदीने वैश्विक विचार और प्रगति में बिहार के योगदान पर भी बात की. उन्होंने कहा चाहे लोकतंत्र हो या राजनीति या कूटनीति या फिर उच्च शिक्षा सदियोंपहले बिहार ने दुनिया को ऐसे कई क्षेत्रों में नई दिशा दिखाई. 19वीं और 20वीं सदी की शुरुआत में ब्रिटिश उपनिवेशों में ले जाए गए गिरमिटियासमुदाय की ऐतिहासिक यात्रा का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा प्रवासी भारतीय दिवस पर मैंने दुनिया भर में गिरमिटिया समुदाय को सम्मानितकरने और उनसे जुड़ने के लिए कई पहलों की घोषणा की.
भारतीयों की प्रशंसा
बिहार की भविष्य की भूमिका पर भरोसा जताते हुए पीएम मोदी ने कहा कि मुझे विश्वास है कि 21वीं सदी की दुनिया के लिए भी बिहार की धरती सेनई प्रेरणाएं और अवसर निकलेंगे. उन्होंने भारतीय संस्कृति को जीवित रखने के लिए त्रिनिदाद और टोबैगो में प्रवासी भारतीयों की भी प्रशंसा की. उन्होंने कहा वे गंगा और यमुना को पीछे छोड़ गए. लेकिन अपने दिल में रामायण ले गए. उन्होंने अपनी मिट्टी छोड़ी लेकिन अपनी आत्मा नहीं वे सिर्फप्रवासी नहीं थे. वे एक शाश्वत सभ्यता के संदेशवाहक थे. उनके योगदान से इस देश को सांस्कृतिक, आर्थिक और आध्यात्मिक रूप से लाभ हुआ है. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा त्रिनिदाद और टोबैगो में भारतीय समुदाय की यात्रा साहस से भरी है. आपके पूर्वजों ने जिन परिस्थितियों का सामना किया. वेसबसे मजबूत मनोबल को भी तोड़ सकती थीं. उन्होंने उम्मीद के साथ कठिनाइयों का सामना किया उन्होंने समस्याओं का डटकर सामना किया.