
दलाई लामा के उत्ताराधिकारी के चुनाव को लेकर विवाद के बीच अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने चीन को फटकार लगाई है. रिजिजू नेगुरुवार को साफ शब्दों में कहा कि दलाई लामा के उत्तराधिकारी को चुनने का निर्णय स्थापित संस्था और दलाई लामा ही लेंगे. इसमें किसी अन्य कीकोई भूमिका नहीं होगी. तिब्बत के सर्वोच्च धमर्गुरु 14वें दलाई लामा ने जब से अपने उत्तराधिकारी को चुनने का एलान किया है. तब से चीन इसचुनाव में हस्तक्षेप करना चाहता है चीन का कहना है कि दलाई लामा के उत्तराधिकारी को बीजिंग सरकार से मंजूरी लेनी होगी. बुधवार को तिब्बतीआध्यात्मिक गुरु दलाई लामा ने कहा कि दलाई लामा संस्था जारी रहेगी और केवल गादेन फोडरंग ट्रस्ट को ही उनके उत्तराधिकारी को मान्यता देने काअधिकार होगा. रिजिजू ने कहा कि दलाई लामा बौद्धों के लिए सबसे महत्वपूर्ण और निर्णायक संस्था हैं. उन्होंने आगे कहा कि उनके अगले अवतार काचुनाव स्थापित परंपरा और दलाई लामा की इच्छा के अनुसार होना चाहिए.
निर्णय लेने का अधिकार नहीं
उनके और मौजूदा परंपराओं के अलावा किसी और को इसका निर्णय लेने का अधिकार नहीं है. बौद्ध धर्म को मानने वाले रिजिजू और उनके साथीकेंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह 6 जुलाई को धर्मशाला में दलाई लामा के 90वें जन्मदिन समारोह में भारत सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. 14वेंदलाई लामा तिब्बतियों और बौद्ध धर्म की नालंदा परंपरा का पालन करने वाले सभी लोगों के लिए सबसे महत्वपूर्ण संस्था हैं.अल्पसंख्यक मामलों केमंत्री किरेन रिजिजू ने चीन को फटकार लगाते हुए कहा कि दलाई लामा के अगले उत्ताराधिकारी चुनने का अधिकार केवल स्थापित संस्था और दलाईलामा के पास ही होगा. उनके और मौजूदा परंपराओं के अलावा किसी और को इसका निर्णय लेने का अधिकार नहीं है. हालांकि बुधवार को दलाईलामा ने यह स्पष्ट किया कि दलाई लामा संस्था जारी रहेगी और केवल गादेन फोडरंग ट्रस्ट के पास उनके उत्तराधिकारी को मान्यता देने का अधिकारहोगा. रिजिजू ने कहा, “दलाई लामा बौद्धों के लिए सबसे महत्वपूर्ण और निर्णायक संस्था हैं. उनके अगले अवतार का चुनाव परंपरा और उनकी इच्छाके अनुसार ही होना चाहिए. किसी और को इसमें हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है. 6 जुलाई को धर्मशाला में दलाई लामा के 90वें जन्मदिनसमारोह में केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू और राजीव रंजन सिंह भारत सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. दलाई लामा तिब्बतियों और नालंदा परंपरा केबौद्ध धर्मावलंबियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं.