
दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) प्रशासन ने एक नया और हैरान करने वाला नियम बनाया है। अब अगर कोई छात्र दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ(DUSU) का चुनाव लड़ना चाहता है, तो उसे 1 लाख रुपये का बॉन्ड जमा करना होगा। इस फैसले के बाद आम आदमी पार्टी के छात्र संगठनएसोसिएशन ऑफ स्टूडेंट्स फॉर अल्टरनेटिव पॉलिटिक्स (एसैप) ने इस नियम का जोरदार विरोध किया है। उनका कहना है कि यह फैसला गरीब औरमध्यम वर्ग के छात्रों को चुनाव से दूर करने के लिए लिया गया है।
मिडिल क्लास को चुनाव से दूर करने की कोशिश – कुलदीप बिधुड़ी
एसैप के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष कुलदीप बिधुड़ी ने कहा कि यह नियम 8 अगस्त को जारी किया गया है। इसके मुताबिक चुनाव में खड़े होने वाले छात्रको 1 लाख रुपये का बॉन्ड देना होगा। उन्होंने कहा कि अगर कोई छात्र चारों पदों के लिए चुनाव लड़ेगा, तो उसे 4 लाख रुपये देने होंगे। यह साफ हैकि डीयू प्रशासन चाहता है कि सिर्फ अमीर छात्र ही चुनाव लड़ें। मिडिल क्लास और गरीब छात्रों को इस तरह बाहर कर दिया जाएगा।
छात्र संघ चुनाव सेवा का मंच है, पैसों का खेल नहीं – प्रवीण चौधरी
एसैप के नेता प्रवीण चौधरी ने कहा कि हर छात्र के लिए 1 लाख रुपये जुटाना आसान नहीं है। छात्र संघ का चुनाव सेवा करने का मौका होता है, लेकिन डीयू प्रशासन ने इसे पैसे का खेल बना दिया है। मिडिल क्लास का छात्र यह रकम कहां से लाएगा?
छात्रों के मुद्दों पर हमेशा साथ – पाश शेरवानी
एसैप के दिल्ली प्रदेश उपाध्यक्ष पाश शेरवानी ने कहा कि संगठन हमेशा छात्रों के हक के लिए आवाज उठाता रहा है। उन्होंने याद दिलाया कि कैसेउन्होंने लाइब्रेरी शुल्क बढ़ने, मेट्रो किराया महंगा होने और छात्र सेवा केंद्र (SSC) जैसी समस्याओं पर आंदोलन किए। हमने पहले भी छात्रों कीपरेशानी को दूर करवाया है। अगर यह बॉन्ड वाला नियम वापस नहीं लिया गया, तो हम फिर से बड़ा आंदोलन करेंगे।
क्या यूनिवर्सिटी सीटों का ठेका दे रही है? – शैलेश यादव
जाकिर हुसैन कॉलेज यूनिट के अध्यक्ष शैलेश यादव ने सवाल उठाया कि क्या डीयू प्रशासन चुनावी सीटों का ऑक्शन कर रहा है? 1 लाख रुपये देकरही चुनाव लड़ने की अनुमति मिल रही है। यह छात्रों की यूनिवर्सिटी है, यहां ठेकेदारी नहीं चलेगी। उन्होंने कहा कि डीयू प्रशासन पहले ही फीस बढ़ाचुका है, लाइब्रेरी शुल्क ज्यादा कर दिया है, हॉस्टल की सुविधा कम है, और अब यह बॉन्ड सिस्टम लगाकर छात्रों के अधिकारों पर हमला किया जारहा है।
एसैप की चेतावनी
एसैप ने साफ कहा है कि अगर डीयू प्रशासन यह नियम वापस नहीं लेता, तो वे छात्रों के साथ मिलकर बड़ा विरोध प्रदर्शन करेंगे और आंदोलन को तबतक जारी रखेंगे, जब तक यह आदेश रद्द न हो जाए।