
छात्रों ने जाना दिल्ली विधानसभा का गौरवशाली इतिहास और संवैधानिक यात्रा
दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने आज एक विशेष शैक्षणिक कार्यक्रम के तहत दिल्ली विश्वविद्यालय के कैम्पस लॉ सेंटर-II के प्रथम औरद्वितीय वर्ष के छात्रों से मुलाकात की। ये छात्र शैक्षणिक भ्रमण पर दिल्ली विधानसभा परिसर आए थे ताकि वे भारत की विधायी संस्थाओं कीकार्यप्रणाली, इतिहास और संवैधानिक ढांचे को नज़दीक से समझ सकें। कार्यक्रम के दौरान विधानसभा अध्यक्ष ने छात्रों का स्वागत किया और उन्हेंदिल्ली विधानसभा के गौरवशाली अतीत, विधान प्रक्रिया, तथा संविधान की भूमिका के बारे में विस्तार से बताया।
पुराना सचिवालय: भारतीय विधायिका की ऐतिहासिक धरोहर
अपने संबोधन में श्री गुप्ता ने दिल्ली विधानसभा भवन के ऐतिहासिक महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह भवन देश की विधायी परंपरा का एकजीवंत प्रतीक है। उन्होंने बताया कि वर्ष 1912 में जब भारत की राजधानी कलकत्ता से दिल्ली स्थानांतरित की गई थी, तब पुराना सचिवालय (Old Secretariat) भवन ही केंद्रीय विधान सभा के रूप में कार्य करता था। उन्होंने कहा कि लुटियंस दिल्ली के निर्माण से पहले, यहीं से भारत कीविधायी गतिविधियाँ संचालित होती थीं। इस भवन ने भारतीय लोकतंत्र की नींव को आकार देने वाले अनेक ऐतिहासिक क्षणों को देखा है।
स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को किया याद
गुप्ता ने इस अवसर पर गोपाल कृष्ण गोखले, लाला लाजपत राय, मदन मोहन मालवीय और विट्ठलभाई पटेल जैसे महान स्वतंत्रता सेनानियों को यादकरते हुए कहा कि इन व्यक्तित्वों ने भारत की लोकतांत्रिक सोच को नई दिशा दी। उन्होंने कहा कि इन महान नेताओं ने न केवल ब्रिटिश शासन केविरुद्ध संघर्ष किया बल्कि भारतीय संसद और विधान सभाओं की बुनियाद को भी मज़बूती प्रदान की।
विशेष संवैधानिक दर्जा और गौरवपूर्ण सफर
विधानसभा अध्यक्ष ने छात्रों को दिल्ली को प्राप्त विशेष संवैधानिक दर्जे के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि बालकृष्णन समिति कीसिफारिशों के आधार पर भारतीय संविधान में अनुच्छेद 239(एए) जोड़ा गया, जिसके अंतर्गत दिल्ली को 70 सदस्यों वाली विधानसभा का दर्जाप्राप्त हुआ।
उन्होंने छात्रों को यह भी जानकारी दी कि वर्ष 1993 में दिल्ली में पहली बार निर्वाचित विधानसभा का गठन हुआ था। इसके बाद से दिल्ली कीविधान संस्था ने जनहित से जुड़े अनेक महत्वपूर्ण विधेयक और नीतियाँ पारित की हैं।
22 एकड़ में फैला आधुनिक विधान परिसर
गुप्ता ने यह भी बताया कि वर्तमान दिल्ली विधानसभा परिसर लगभग 22 एकड़ में फैला हुआ है, जो देश के सबसे बड़े विधान परिसरों में से एक है।उन्होंने कहा कि यह परिसर न केवल प्रशासनिक कार्यों का केंद्र है, बल्कि यह लोकतांत्रिक भावना और जनसेवा के आदर्शों का प्रतीक भी है।
लोकतंत्र और संविधान पर गर्व करने की प्रेरणा
विधानसभा अध्यक्ष ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि भारत की लोकतांत्रिक संस्थाओं पर गर्व करना हर नागरिक का कर्तव्य है। उन्होंने छात्रों कोप्रेरित किया कि वे न केवल संविधान का अध्ययन करें बल्कि उसकी आत्मा समानता, न्याय और सेवा को अपने जीवन में उतारें। उन्होंने कहा, युवापीढ़ी को यह समझना होगा कि लोकतंत्र केवल एक व्यवस्था नहीं, बल्कि यह हमारे अस्तित्व का आधार है। संविधान की रक्षा और जनसेवा कीभावना को जीवित रखना ही सच्चा राष्ट्रधर्म है।
विधानसभा भ्रमण एक अनोखा अनुभव
इस संवाद के बाद छात्रों ने विधानसभा परिसर का भ्रमण किया और सदन की कार्यप्रणाली को प्रत्यक्ष रूप से देखा।उन्होंने विधानसभा के सत्र कक्ष, समितियों के कक्ष, और अभिलेखागार का भी दौरा किया। छात्रों ने इस शैक्षणिक भ्रमण को एक अविस्मरणीय अनुभव बताया और कहा कि इसने उन्हेंभारतीय लोकतंत्र की गहराई और उसकी कार्यप्रणाली को समझने का एक अनोखा अवसर प्रदान किया।
ज्ञान और प्रेरणा का संगम
यह मुलाकात केवल एक शैक्षणिक यात्रा नहीं थी, बल्कि लोकतंत्र, संविधान और नागरिक जिम्मेदारी पर एक गहन संवाद का अवसर भी थी। विजेंद्रगुप्ता ने छात्रों को यह संदेश दिया कि अगर वे संविधान के आदर्शों को अपने जीवन में अपनाएँ, तो वे समाज और राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिकानिभा सकते हैं।