
देश की सबसे बड़ी परीक्षा एजेंसी नेशनल टेस्टिंग एजेंसी एक बार फिर विवादों के घेरे में है। विपक्षी दलों, शिक्षा विशेषज्ञों और छात्र संगठनों काआरोप है कि यह संस्था अब “नेशनल करप्शन एजेंसी” बन गई है। हर साल जैसे ही राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा या कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्टजैसी परीक्षाएं होती हैं, किसी न किसी नए घोटाले का खुलासा होता है। इस बार भी ऐसा ही हुआ है। राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा पर फिर से उठाविवाद
हाल ही में केंद्रीय जांच ब्यूरो द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी प्रथम सूचना रिपोर्ट में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। इस एफआईआर में पैसे लेकरऑप्टिकल मार्क रिकॉग्निशन। शीट बदलने की बात कही गई है। दो लोगों की गिरफ़्तारी हो चुकी है और तीन लोग अब भी फरार हैं। यह पूरा मामलाभ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (एंटी करप्शन एक्ट) के तहत दर्ज किया गया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि इस गड़बड़ी में कोई न कोई बड़ा हाथ जरूरहै। लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि केंद्रीय जांच ब्यूरोयह दावा कर रही है कि राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी का कोई अधिकारी इसमें शामिल नहीं है। ऐसेमें सवाल उठता है कि जब किसी अधिकारी की भूमिका नहीं है, तो फिर मामला एंटी करप्शन एक्ट के तहत क्यों दर्ज हुआ? स्वास्थ्य सेवा की नींवहिल रही है राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा के ज़रिये देशभर के मेडिकल कॉलेजों में दाख़िले होते हैं। यानी इस परीक्षा से ही तय होता है कि देश केभविष्य के डॉक्टर कौन होंगे। ऐसे में अगर इस राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा की पारदर्शिता पर सवाल खड़े हो रहे हैं, तो यह केवल शिक्षा नहीं, बल्कि देश की स्वास्थ्य व्यवस्था की रीढ़ को हिला देने वाला मामला है। हर साल विवाद, हर साल चुप्पी पिछले कई वर्षों से परीक्षा हर बार विवादोंमें घिरती है। कभी पेपर लीक, कभी मार्किंग में गड़बड़ी, तो कभी परिणामों की घोषणा में अनियमितता। लेकिन हर बार सरकार की तरफ से सिर्फखानापूर्ति होती है। कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जाती।
मोदी सरकार के कार्यकाल में शिक्षा क्षेत्र की बदहाली- वर्तमान सरकार के कार्यकाल में शिक्षा क्षेत्र की हालत दिन-ब-दिन खराब होती जा रही है
शिक्षा बजट में कटौती की जा रही है
कोई भी परीक्षा सही तरीके से आयोजित नहीं हो रही
विद्यालयों और विश्वविद्यालयों की स्थिति बदतर होती जा रही है
हर परीक्षा में गड़बड़ियों का सिलसिला थम नहीं रहा
कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट के ज़रिये प्राइवेट कॉलेजों को फायदा – कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट परीक्षा के डेटा लीक की भी खबरें सामने आई हैं।आरोप है कि पेपर होने के बाद प्राइवेट कॉलेजों को छात्र डेटा मिल जाता है, जिससे वे छात्रों के अभिभावकों को कॉल करके एडमिशन के लिए दबावबनाते हैं। साथ ही यह भी देखा गया है कि जानबूझकर सार्वजनिक विश्वविद्यालयों की प्रवेश प्रक्रिया में देरी की जाती है, ताकि पहले प्राइवेट कॉलेजोंकी सीटें भर जाएं। इससे यह साफ होता है कि यह एक सुनियोजित व्यापारिक मॉडल बन चुका है, जिसमें शिक्षा का बाजारीकरण हो रहा है।
छात्रों में बढ़ता तनाव, आत्महत्याएं चिंताजनक
आज देश में हर एक घंटे में दो छात्र आत्महत्या कर रहे हैं। इसके पीछे परीक्षा प्रणाली की अव्यवस्था, मानसिक दबाव, और पारदर्शिता की कमी जैसेकई कारण हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या सरकार को इस ओर गंभीरता से ध्यान हीं देना चाहिए?
कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट ने विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता छीनी – देश के 300 से अधिक विश्वविद्यालय अब कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट के ज़रियेप्रवेश कराते हैं। पहले जिन विश्वविद्यालयों के पास इन-हाउस प्रवेश प्रणाली थी, उन्हें भी मजबूर किया गया कि वे कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्टअपनाएं। कारण यह है कि यूजीसी का अनुदान (ग्रांट) उन्हीं को मिलेगा, जो कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट के माध्यम से दाखिला करेंगे। इससेविश्वविद्यालयों की स्वायत्तता और गुणवत्ता पर भी आघात हुआ है। जांच क्यों नहीं? दोषियों को बचाया क्यों जा रहा है? अब जब केंद्रीय जांच ब्यूरोकी प्राथमिकी खुद गड़बड़ियों की पुष्टि कर रही है, तो सरकार को चाहिए कि राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी के अधिकारियों की निष्पक्ष जांच कराई जाए.
हर साल हो रही अनियमितताओं पर स्थायी समाधान निकाला जाए
शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र को राजनीति और व्यापार से बाहर रखा जाए
परीक्षा प्रणाली को पूरी तरह से पारदर्शी और जवाबदेह बनाया जाए
प्रधानमंत्री केवल ‘परीक्षा पर चर्चा’ करते हैं, लेकिन ज़रूरत है कि वे ‘परीक्षा पर कार्रवाई’ भी करें। देश का भविष्य बना रही परीक्षा प्रणाली आज संदेह, अविश्वास और भ्रष्टाचार की शिकार हो चुकी है। यदि समय रहते इसका समाधान नहीं किया गया, तो यह देश के शिक्षा और स्वास्थ्य तंत्र कोअपूरणीय क्षति पहुंचा सकती है। अब वक्त है कि राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी जैसी संस्थाओं की जवाबदेही तय की जाए और देश के युवाओं को भरोसेमंदव्यवस्था दी जाए।