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पंजाब जल समझौते से जुड़े मामलों के समाधान में लगातार देरी हो रही है. अब इसमें एक साल का अतिरिक्त समय लगेगा. केंद्र ने रावी और ब्यासजल न्यायाधिकरण के लिए अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने की समय सीमा एक साल के लिए बढ़ा दी है. अब न्यायाधिकरण को पांच अगस्त, 2026 तकरिपोर्ट पेश करनी होगी. अंतर-राज्यीय नदी जल विवाद अधिनियम 1956 के तहत गठित रावी ब्यास न्यायाधिकरण को पंजाब और उसके पड़ोसीराज्यों के बीच रावी और ब्यास नदी के पानी के वितरण से संबंधित मामलों का निपटारा करने का काम सौंपा गया है. न्यायाधिकरण का गठन दोअप्रैल 1986 को किया गया था. जल समझौतों को लेकर न्यायाधिकरण ने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट 30 जनवरी, 1987 को केंद्र सरकार को सौंप दीथी.

समझौतों को लेकर चलती रही समीक्षा
इसके बाद केंद्र ने न्यायाधिकरण से समझौतों को लेकर और स्पष्टीकरण मांगे। ऐसे में समझौतों को लेकर समीक्षा प्रक्रिया चलती रही. करीब चारदशक से चल रही समीक्षा प्रक्रिया पूरी होने के बाद न्यायाधिकरण को रिपोर्ट सौंपनी थी. मगर जल शक्ति मंत्रालय ने एक बार फिर रिपोर्ट सौंपने कीसमयसीमा में इजाफा कर दिया. जल शक्ति मंत्रालय द्वारा जारी एक राजपत्र अधिसूचना के अनुसार सरकार ने विस्तार के लिए न्यायाधिकरण द्वाराचिह्नित कार्य की अनिवार्यताओं का हवाला दिया. साथ ही रिपोर्ट सौंपने की सीमा को पांच अगस्त 2026 तक के लिए बढ़ा दिया. केंद्रीय जल शक्तिमंत्रालय में अंतर-राज्यीय जल विवाद पर चर्चा के लिए हुई बैठक में पंजाब-हरियाणा सतलुज-यमुना लिंक नहर विवाद को दूर करने पर सहमत हो गएथे. पंजाब और हरियाणा के बीच जल बंटवारे के लिए दशकों पहले बनाई गई एसवाईएल नहर वर्षों से कानूनी और राजनीतिक विवाद का केंद्र है.

केंद्र सरकार को सौंपनी है रिपोर्ट
जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल ने कहा कि मंत्रालय जल संसाधनों के न्यायसंगत और बेहतर प्रबंधन के लिए दोनों राज्यों को पूरा सहयोग प्रदानकरेगा. अंतर-राज्यीय नदी जल विवाद अधिनियम 1956 के तहत गठित रावी ब्यास न्यायाधिकरण को पंजाब जल समझौते को लेकर केंद्र सरकार कोरिपोर्ट सौंपनी है. मगर सरकार ने रिपोर्ट सौंपने की समयसीमा एक साल के लिए बढ़ा दी है. अब करीब चार दशक बीतने के बावजूद विवाद का अंतिमनिपटारा नहीं हो पाया है. हालिया निर्णय में केंद्र ने कहा कि न्यायाधिकरण द्वारा चिह्नित तकनीकी और कानूनी बिंदुओं की जांच व विश्लेषण अभीअधूरी है. इसलिए रिपोर्ट सौंपने की समयसीमा बढ़ाई गई है.रावी-ब्यास जल विवाद जो एक संवेदनशील और महत्वपूर्ण अंतर-राज्यीय मुद्दा है उसकेसमाधान में लगातार देरी चिंता का विषय है. न्यायाधिकरण को बार-बार दी जा रही समय सीमा दर्शाती है कि राजनीतिक इच्छाशक्ति और प्रशासनिकनिष्कर्ष के अभाव में यह मामला लंबा खिंचता जा रहा है.

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