
भगवान महावीर देशना फाउंडेशन (बीएमडीएफ) ने भारत सरकार के कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय को एक औपचारिक पत्र भेजकर मांग की हैकि पशु-अवशेषों जैसे मांस, हड्डियों, रक्त और मछली आदि से तैयार की जाने वाली जैविक खादों पर तुरंत रोक लगाई जाए। साथ ही ऐसे खादों केस्थान पर पौधों से बनने वाले विकल्पों को बढ़ावा दिया जाए ताकि खेती पूरी तरह से शाकाहारी और नैतिक रूप से शुद्ध बनी रहे।
शाकाहारी और आस्था रखने वाले लोगों की भावनाओं को ठेस
फाउंडेशन के निदेशक और दिल्ली नगर निगम के पार्षद मनोज कुमार जैन ने बताया कि हाल के वर्षों में प्राकृतिक और जैविक खेती के नाम पर ऐसेखादों का उपयोग बढ़ता जा रहा है जो पशु-अवशेषों से तैयार किए जाते हैं। इससे देश के करोड़ों शाकाहारी, जैन, वैष्णव, सिख, बौद्ध और वेगननागरिकों की धार्मिक और नैतिक भावनाएं आहत हो रही हैं। जैन ने कहा कि जिन पौधों या फसलों को ऐसे खादों से पोषित किया जाता है, उन्हें पूर्णरूप से शुद्ध शाकाहारी नहीं कहा जा सकता। यह न केवल धार्मिक असहजता का कारण है बल्कि आस्था और विश्वास पर आधारित भोजन की शुद्धताका भी उल्लंघन है।
फाउंडेशन की प्रमुख अपीलें
जैन ने सरकार से कहा कि सभी प्रकार की खादों पर साफ-साफ उल्लेख होना चाहिए कि वे किस स्रोत से बनी हैं। यदि किसी खाद में पशु-अवशेषोंका उपयोग किया गया है, तो उसका विवरण किसानों और उपभोक्ताओं को बताया जाना चाहिए ताकि वे अपनी धार्मिक मान्यताओं के अनुसारनिर्णय ले सकें। उन्होंने यह भी कहा कि पौधों से बनी जैविक खादों के लिए एक अलग श्रेणी तय की जाए और ऐसे खादों को विशेष प्रमाणपत्र दियाजाए जिससे किसान और उपभोक्ता यह जान सकें कि यह पूर्ण रूप से वनस्पति आधारित है। इसके साथ ही कृषि विश्वविद्यालयों और अनुसंधानसंस्थानों को प्रोत्साहित किया जाए कि वे केवल पौध, गो-आधारित या सूक्ष्म जीवों से बनने वाली खादों पर शोध करें और उनका प्रयोग बढ़ाएं। जैन नेयह भी सुझाव दिया कि ऐसी फसलों के लिए एक विशेष पहचान चिन्ह जारी किया जाए जो पूर्णतः गैर-पशु स्रोतों से तैयार की गई हों, ताकि उनकीशुद्धता पर कोई संदेह न रहे।
अहिंसा और सतत जीवनशैली की दिशा में एक कदम
मनोज कुमार जैन ने कहा कि यह पहल न केवल करोड़ों शांति और अहिंसा में विश्वास रखने वाले नागरिकों की धार्मिक भावनाओं की रक्षा करेगी, बल्कि यह भारत की पहचान को भी और मजबूत बनाएगी। उन्होंने कहा कि भारत सदियों से अहिंसा, अनेकांत और सतत जीवनशैली का प्रतीक रहा है, और इस दिशा में सरकार का सहयोग देश की संस्कृति और परंपरा को और ऊँचा उठाएगा।
संबंधित विभागों को भेजी गई प्रतिलिपि
फाउंडेशन ने इस पत्र की प्रतिलिपि पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण, कृषि अनुसंधान परिषद, एपीडा और नीति आयोग के कृषि विभाग को भी भेजी है, ताकि इस विषय पर तुरंत कदम उठाए जा सकें।
समापन संदेश
फाउंडेशन का कहना है कि यदि देश को अहिंसा और शुद्धता का प्रतीक बनाना है, तो खेती से लेकर भोजन तक हर स्तर पर पशु-अवशेषों के प्रयोग कोसमाप्त करना होगा। श्री मनोज कुमार जैन ने कहा कि हमारी भूमि तभी पवित्र मानी जाएगी जब उसमें जीवन की रक्षा करने वाले तत्वों का प्रयोग होगा, न कि जीवन को समाप्त करने वाले अवशेषों का।