
समाज की भावनाओं का सम्मान
दिल्ली के लालकिला मैदान में हर साल होने वाली लव कुश रामलीला पूरे देश और दुनिया में प्रसिद्ध है। इस रामलीला को देखने के लिए लाखोंलोग आते हैं और यह आयोजन धार्मिक आस्था का बड़ा प्रतीक माना जाता है। इस बार जब अभिनेत्री पूनम पांडे को मंदोदरी की भूमिका के लिए चुनागया, तो शुरुआत में सबकुछ सामान्य लगा। लेकिन जैसे ही इस खबर की घोषणा हुई, समाज के अलग-अलग हिस्सों से आपत्तियाँ आने लगीं।
समिति का बयान
रामलीला समिति के अध्यक्ष अर्जुन कुमार और महासचिव सुभाष गोयल ने बताया कि पूनम पांडे को समिति ने आमंत्रित किया था और उन्होंने मंदोदरीकी भूमिका निभाने के लिए सहमति भी दी थी। लेकिन, उनके नाम की घोषणा के बाद अलग-अलग संस्थानों और वर्गों से विरोध के स्वर उठने लगे।लोगों का कहना था कि इससे रामलीला की गरिमा और इसके मूल उद्देश्य पर सवाल खड़े हो सकते हैं।
रामलीला का असली उद्देश्य
रामलीला केवल एक नाटक या मनोरंजन का साधन नहीं है। इसका असली उद्देश्य भगवान श्रीराम के जीवन से जुड़े आदर्शों, मर्यादा और संदेश कोसमाज तक पहुँचाना है। इस मंचन से लोग प्रेरणा लेते हैं और यह पीढ़ी दर पीढ़ी संस्कारों को आगे बढ़ाने का माध्यम बनता है। समिति का मानना हैकि यदि किसी कलाकार के चयन से समाज में असंतोष और विवाद की स्थिति पैदा होती है, तो यह रामलीला के उद्देश्य के विपरीत होगा।
गहन विचार के बाद लिया गया निर्णय
काफी सोच-विचार और चर्चा के बाद समिति ने तय किया कि इस बार मंदोदरी की भूमिका किसी अन्य कलाकार से करवाई जाएगी। समिति काकहना है कि यह फैसला किसी के खिलाफ नहीं है, बल्कि समाज की भावनाओं और आस्था का सम्मान करते हुए लिया गया है। समिति ने यह भीकहा कि उनका मकसद है कि रामलीला की पवित्रता और परंपरा पर कोई आंच न आए।
पूनम पांडे के लिए शुभकामनाएं
समिति ने अभिनेत्री पूनम पांडे के लिए शुभकामनाएं दीं और कहा कि वे इस फैसले को समझेंगी। समिति ने उनके उज्ज्वल भविष्य और सफलता कीकामना की।
मंदोदरी का महत्व
मंदोदरी, रावण की पत्नी और लंका की रानी थीं। उन्हें बहुत बुद्धिमान और धर्मपरायण स्त्री माना जाता है। रामायण में मंदोदरी का चरित्र आदर्श नारीके रूप में प्रस्तुत किया गया है, जो कठिन परिस्थितियों में भी धर्म और सत्य का मार्ग नहीं छोड़तीं। इसी वजह से समाज का मानना था कि इस भूमिकाको निभाने वाले कलाकार की छवि भी उतनी ही मर्यादित होनी चाहिए।