प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को गांधीनगर के महात्मा मंदिर में 5,536 करोड़ रुपये की विभिन्न विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यासकिया. इस दौरान उन्होंने विशाल जनसभा को संबोधित किया इस दौरान उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर को लेकर विपक्ष पर तंज कसा उन्होंने सिंधू जल संधिका जिक्र किया. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘पाकिस्तान हमसे सीधी लड़ाई में नहीं जीत पाया तो उसने आतंकियों को हमारे देश में भेजना शुरू किया. यानी उन्होंने प्रॉक्सी वॉर का सहारा लिया जिसे हम आज तक प्रॉक्सी युद्ध कहते थे, 6 मई के बाद जो दृश्य देखने को मिले, उसके बाद हम अब इसेप्रॉक्सी युद्ध कहने की गलती नहीं कर सकते. हमने जिन आतंकियों को मिट्टी में मिलाया, वहां उनके जनाजों को सम्मान दिया गया, उसकी ताबूत परपाकिस्तानी झंडे रखे गए.
पाकिस्तान का नापाक चेहरा आया सामने
इससे पाकिस्तान का नापाक चेहरा सभी के सामने आ गया मात्र 22 मिनट के भीतर 9 आतंकवादी ठिकानों की पहचान कर उन्हें नष्ट कर दिया गया, तोयह एक निर्णायक कार्रवाई थी. इस बार सब कुछ कैमरों के सामने किया गया, ताकि घर पर कोई सबूत न मांग सके हमें इस बार सबूत नहीं देना पड़रहा है उधर वाले सबूत दे रहे हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने सिंधू जल संधि का जिक्र कर कहा कि हम अपने काम में लगे थे, प्रगति की राह पर चले थे, हमसबका भला चाहते हैं और मुसीबत में मदद भी करते हैं, लेकिन बदले में खून की नदियां बहती हैं। 1960 में जो सिंधु जल समझौता हुआ है अगरउसकी बारीकी में जाएंगे तो आप चौंक जाएंगे. उसमें यहां तक तय हुआ कि जो जम्मू-कश्मीर की अन्य नदियों पर बांध बने हैं उनकी सफाई का कामनहीं किया जाएगा. उसके लिए गेट नहीं खोले जाएंग 60 साल तक गेट नहीं खोले गए। जिसमें शत प्रतिशत पानी भरना चाहिए था धीरे-धीरे उसकीक्षमता कम हो गई. क्या मेरे देशवासियों को पानी पर अधिकार नहीं है क्या? अभी हमने कुछ ज्यादा किया नहीं है और वहां पसीना छूट रहा है हमनेसफाई शुरू की है, इतने से वहां बाढ़ आ जाती है.
6 मई की रात शुरु हुआ था ऑपरेशन सिंदूर
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘6 मई की रात को हमारे सशस्त्र बलों की ताकत के साथ ऑपरेशन सिंदूर शुरू हुआ. अब, यह ऑपरेशन सिंदूर लोगों कीताकत के साथ आगे बढ़ेगा. जब मैं हमारे सशस्त्र बलों की ताकत और लोगों की ताकत की बात करता हूं, तो मेरा मतलब है कि हर नागरिक को देशके विकास में भागीदार बनना चाहिए। अगर हम सभी 2047 तक विकसित भारत के निर्माण में योगदान देते हैं और अपनी अर्थव्यवस्था को वैश्विक स्तरपर चौथे से तीसरे स्थान पर ले जाना चाहते हैं, तो हम विदेशी उत्पादों पर निर्भर नहीं रहेंगे। हमें गांव के व्यापारियों को यह संकल्प दिलाना चाहिए किचाहे उन्हें कितना भी मुनाफा हो, वे विदेशी सामान नहीं बेचेंगे. लेकिन दुर्भाग्य से गणेश की मूर्तियां भी विदेश से आती हैं, छोटी आंखों वाली गणेशमूर्तियां, जिनकी आँखें ठीक से खुलती भी नहीं हैं. ऑपरेशन सिंदूर के लिए एक नागरिक के तौर पर मेरे पास आपके लिए एक काम है- घर जाइए औरएक सूची बनाइए कि आप 24 घंटे में कितने विदेशी उत्पादों का उपयोग करते हैं. हमारे पास सब कुछ है। ऐसे में हमें अपनी चीजों को ही इस्तेमालकरना है, जो हमारे देश में बनी हो एक या दो चीजों को छोड़कर सब कुछ हमारे यहां उपलब्ध है.