नमस्ते नरेंद्र को लेकर राहुल गांधी की कल की टिप्पणी इस बात को स्पष्ट करती है कि कैसे प्रधानमंत्री मोदी ने बार-बार भारत के राष्ट्रीय हितों कोसमर्पित किया है उन परिस्थितियों में जब उन्हें अपेक्षित चतुराई और ‘विश्वगुरु’ का दर्जा दिखाने की आवश्यकता थी. कुछ स्पष्ट उदाहरण आम भारतीयोंकी नज़रों से बच नहीं सकते. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के बार-बार दावे – 21 दिनों में 11 – कि अमेरिका ने भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम के लिए हस्तक्षेप किया. यह दर्शाता है कि कैसे मोदी सरकार ने भारत के हितों को समर्पित किया. शिमला समझौते में भारत के लंबे समय सेचले आ रहे रुख की अवहेलना की. भारत और पाकिस्तान को एक साथ रखा यहाँ तक कि अमेरिका को ‘तटस्थ स्थल’ पर बातचीत करने की अनुमतिदी. 23 मई, 2025 को, संयुक्त राज्य अमेरिका के वाणिज्य सचिव हॉवर्ड डब्ल्यू.
न्यायालय में एक हलफनामा किया दायर
लुटनिक ने संयुक्त राज्य अमेरिका के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार न्यायालय में एक हलफनामा दायर किया जिसमें दावा किया गया कि यह युद्धविराम केवलराष्ट्रपति ट्रम्प के हस्तक्षेप के बाद ही प्राप्त हुआ और दोनों देशों को पूर्ण पैमाने पर युद्ध को टालने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ व्यापार करनेकी पेशकश की. इस मामले में राष्ट्रपति की शक्ति को बाधित करने वाला एक प्रतिकूल निर्णय भारत और पाकिस्तान को राष्ट्रपति ट्रम्प की पेशकशकी वैधता पर सवाल उठाने के लिए प्रेरित कर सकता है. जिससे पूरे क्षेत्र की सुरक्षा और लाखों लोगों के जीवन को खतरा हो सकता है. स्टील परटैरिफ से लेकर टेस्ला द्वारा ‘मेक इन इंडिया’ में शामिल न होने तक एलन मस्क को लुभाने के बावजूद स्टारलिंक को प्राप्त करने से जो राष्ट्रीय सुरक्षाचिंताओं से जुड़ा है. पहले व्यापार सौदे पर बातचीत करने में सक्षम नहीं होने से और ट्रम्प के आश्वासन के बावजूद अमेरिका में कई उच्च-स्तरीयमंत्रिस्तरीय यात्राओं के बावजूद चीन को पहले मिल गया. मोदी सरकार संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा उल्लिखित लाइन पर चलती दिख रही है.
रणनीतिक हितों को खतरा
जिससे भारत के रणनीतिक हितों को खतरा है हाल ही में अमेरिकी वाणिज्य सचिव द्वारा दिया गया बयान जिसमें उन्होंने रूस से हथियार खरीदने कीभारत की रणनीतिक स्वायत्तता और BRICS में हमारी मौजूदगी की आलोचना की है और बहुचर्चित व्यापार सौदे पर ‘बाजार खोलने, मास्को सेहथियारों की खरीद कम करने और BRICS के साथ अपने जुड़ाव को कम करने’ जैसी शर्तें रखी हैं. यह सोचने के लिए पर्याप्त है कि मोदी सरकार कीविनाशकारी विदेश नीति किस तरह आकार ले रही है. इस साल फरवरी में हमने देखा कि कैसे पीएम मोदी के प्रिय ‘नमस्ते ट्रंप’ ने पाकिस्तान को F-16 लड़ाकू विमानों के रखरखाव के लिए 357 मिलियन डॉलर देने का फैसला किया। भारतीय सेना ने रिकॉर्ड पर कहा है कि हमारे पास यह साबित करनेके लिए पर्याप्त सबूत हैं कि पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर में भारतीय सैन्य प्रतिष्ठानों को निशाना बनाने के लिए अमेरिका निर्मित F-16 लड़ाकू विमानोंको तैनात किया था। एक तरफ अमेरिका पाकिस्तान के स्वामित्व वाले F-16 के रखरखाव के लिए पैसे दे रहा है. वहीं दूसरी तरफ ट्रंप ने भारत को F-35 बेचने का करारा झटका दिया है. सामरिक विशेषज्ञों का कहना है कि F-16, F-35 की तुलना में हवाई लड़ाई में बेहतर हैं। यहां तक कि एलनमस्क ने भी उन्हें ‘JUNK’ कहा था.