
बिहार से हाल ही में एक हैरान करने वाली खबर सामने आई है। यहां कॉलेजों में प्रिंसिपल यानी प्रधानाचार्य की नियुक्ति लॉटरी के जरिए की गई। जीहां, आप सही पढ़ रहे हैं – पढ़ाई और शिक्षा जैसे गंभीर विषय में भी अब लॉटरी निकाली जा रही है। इतना ही नहीं, इस लॉटरी के बाद महिलाकॉलेजों में भी पुरुष प्रिंसिपल नियुक्त कर दिए गए। इस पूरे मामले पर जब लोगों ने सवाल उठाए, तो विश्वविद्यालय के कुलपति यानी वाइसचांसलर सफाई देने सामने आए। उन्होंने कहा कि शहर के कॉलेजों में प्रधानाचार्य बनने के लिए बड़े-बड़े लोगों की सिफारिश आती है, इसलिए उन्होंनेलॉटरी निकाली ताकि कोई पक्षपात न हो। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि ऐसा कोई नियम नहीं है जिसमें लिखा हो कि महिला कॉलेज काप्रधानाचार्य पुरुष नहीं हो सकता। लेकिन सवाल यह है कि क्या सिर्फ नियम में न होने से सब जायज हो जाता है? क्या महिला कॉलेज में लड़कियोंकी भावनाएं, सुरक्षा और सुविधा कोई मायने नहीं रखतीं? क्या यही सोचकर लड़कियों को पढ़ने भेजा जाता है कि कोई भी प्रिंसिपल बन जाएगा, चाहेउसकी समझ हो या नहीं?
बिहार की शिक्षा व्यवस्था की सच्चाई
बिहार में शिक्षा व्यवस्था का जो हाल है, उस पर एक पुरानी कहावत बिल्कुल सटीक बैठती है –
अंधेर नगरी चौपट राजा, टके सेर भाजी, टके सेर खाजा।
यानी, यहां जो जैसा चाहे, वैसा कर सकता है। कोई नियम, कोई व्यवस्था नहीं। आज बिहार में जो कॉलेज और विश्वविद्यालय चल रहे हैं, वे दिखने मेंतो ‘उच्च शिक्षा’ के केंद्र हैं, लेकिन असलियत में वहां पढ़ाई नाम की कोई चीज़ नहीं होती। छात्रों का भविष्य अंधेरे में है।
कॉलेजों की असली तस्वीर
चार कमरे वाले कॉलेज में हजारों छात्रों का नामांकन हो जाता है।, पढ़ाई के लिए जरूरी चीजें – जैसे किताबें, लाइब्रेरी, लैब कुछ भी नहीं होता।, कक्षाएं नियमित नहीं होतीं, कई बार महीनों तक क्लास नहीं लगती।, परीक्षा समय पर नहीं होती, सेशन सालों तक खिंचते हैं।
कॉलेजों की इमारतें खस्ताहाल हैं, बैठने तक की जगह नहीं होती।
छात्रों को सारी व्यवस्था खुद करनी पड़ती है – किताब खरीदनी, नोट्स ढूंढने, और प्रैक्टिकल खुद से करना।
छात्र लाखों रुपये खर्च कर पढ़ाई के लिए आते हैं, लेकिन न उन्हें पढ़ाया जाता है, न समझाया जाता है, न किसी शिक्षक से सही मार्गदर्शन मिलता है।
डिग्री के लिए भी रिश्वत
इतना ही नहीं, जब छात्र पढ़ाई पूरी कर डिग्री लेने जाते हैं, तो उनसे ‘मिठाई’ के नाम पर रिश्वत मांगी जाती है। यानी, पढ़ाई के बाद भी डिग्री लेने केलिए जेब ढीली करनी पड़ती है। यह सब बताता है कि बिहार की शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी के जाल में फंसी हुई है।
लॉटरी से प्रिंसिपल बनाना – क्या मजाक है?
शिक्षा जैसे गंभीर क्षेत्र में लॉटरी से नियुक्ति करना, एक मजाक से कम नहीं है। यह दिखाता है कि सरकार और विश्वविद्यालय प्रशासन को छात्रों केभविष्य की कोई चिंता नहीं है।
असल में यह सिर्फ लॉटरी नहीं है
यह उस पूरी व्यवस्था की पोल खोलता है, जिसमें सिफारिश, घूस और पहुँच के आधार पर नियुक्तियाँ होती हैं। वाइस चांसलर भी वही बनते हैंजिनकी सरकार में पहुँच हो। ये लोग फिर कॉलेज को कमाई का जरिया बनाते हैं छात्रों से पैसा वसूलो, कमीशन ऊपर तक पहुंचाओ।
क्या यही है विकास?
आज जब प्रधानमंत्री बिहार आते हैं, तो कहते हैं कि बिहार विकास के रास्ते पर बढ़ रहा है। लेकिन सवाल यह है कि अगर यही विकास है, तो विनाशकिसे कहेंगे?
जहां छात्रों को पढ़ाई न मिले, जहां शिक्षकों की नियुक्ति लॉटरी से हो,
जहां छात्रों से रिश्वत ली जाए, जहां कॉलेज सिर्फ नाम के हों
तो यह कैसा विकास है?
कन्हैया कुमार की अपील जागो, सोचो और बदलाव लाओ कन्हैया कुमार, जो खुद भी बिहार से हैं और छात्रों की आवाज़ रहे हैं, साफ कहते हैं जिससरकार को आपकी चिंता नहीं, उसकी कुर्सी छीन लो। चुनाव हर 5 साल में इसलिए होते हैं ताकि जनता अपना नेता चुन सके। अगर कोई सरकारआपके बच्चों को शिक्षा न दे, आपके भविष्य की परवाह न करे, तो उसे बदलना ही होगा।
बिहार में अपराध भी बढ़ रहा है
शिक्षा के साथ-साथ कानून व्यवस्था भी बदहाल है। हर दिन बिहार के किसी न किसी शहर में गोली चलती है। अपराधी खुलेआम घूमते हैं। पुलिसकुछ नहीं कर पाती। और सरकार के मंत्री कहते हैं – संगठित अपराध खत्म हो गया है असलियत यह है कि डबल इंजन सरकार की दिशा ही अलग-अलग है – एक इंजन दिखावे की बात करता है, दूसरा इंजन जनता को कुचलने का काम करता है।
अब समय है बदलाव का
बिहार के युवाओं से अपील है कि अब चुप बैठने का समय नहीं है।
पढ़ाई चाहिए, रोजगार चाहिए, सुरक्षा चाहिए और सबसे ज़रूरी सम्मान चाहिए
जो सरकार आपकी बात न सुने, उसे आप भी मत सुनो। अब समय है आवाज़ उठाने का, अब समय है व्यवस्था को बदलने का।
अगर आप चाहते हैं कि आपके बच्चे बेहतर पढ़ें, नौकरी करें, जीवन में आगे बढ़ें – तो ऐसी व्यवस्था को बदलना होगा, जो उन्हें केवल अंधकार मेंधकेल रही है।बिहार के भविष्य की लड़ाई अब हर घर से लड़ी जाएगी। अब शिक्षा, रोजगार और न्याय के लिए आवाज़ उठेगी – मजबूती से, ईमानदारी से और पूरी ताकत से।