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ब्राजील के रियो डी जेनेरियो में हुए 17वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में जलवायु परिवर्तन, विकास और पर्यावरण संरक्षण जैसे अहम मुद्दों पर गंभीर चर्चाहुई. इस दौरान ब्रिक्स देशों ने 2028 में भारत की ओर से संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (सीओपी 33) की मेजबानी की दावेदारी का समर्थनकिया। मामले में ब्रिक्स नेताओं ने एक संयुक्त घोषणा में कहा कि वे पेरिस जलवायु समझौते के उद्देश्यों और यूएनएफसीसीसी के लक्ष्यों को लेकरपूरी तरह प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा कि जलवायु संकट से निपटने के लिए बहुपक्षीयता जरूरी है और सभी देशों को अपने जलवायु वादों को निभानाचाहिए.साथ ही ब्रिक्स देशों ने 2025 में ब्राजील के शहर बेलें में होने वाले सीओपी-30 सम्मेलन के लिए भी पूरा समर्थन जताया. नेताओं ने उम्मीदजताई कि यह सम्मेलन जलवायु परिवर्तन के खिलाफ वैश्विक प्रयासों को नई दिशा देगा. सम्मेलन में ब्रिक्स जलवायु नेतृत्व एजेंडा को मंजूरी दी गई.

सहयोग बढ़ाने पर दिया जोर
जिसमें विकासशील देशों के हितों को ध्यान में रखते हुए जलवायु समाधान तेजी से लागू करने और सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया गया. इसको लेकरनेताओं ने कहा कि सभी प्रकार के वनों का संरक्षण अत्यंत जरूरी है क्योंकि वे जैव विविधता, जल स्रोतों, मिट्टी और जलवायु संतुलन के लिए बेहदअहम हैं. इस दौरान भारत की ओर से बिग कैट्स एलायंस की अंतरराष्ट्रीय पहल का भी स्वागत किया गया. साथ ही ब्रिक्स देशों से बड़ी बिल्लियों(जैसे बाघ, शेर) के संरक्षण के लिए मिलकर काम करने की अपील की गई. इसके साथ ही ब्रिक्स नेताओं ने वैश्विक पर्यावरण सुविधा (जीईएफ) कीव्यवस्था में सुधार की मांग की ताकि विकासशील देशों को पर्यावरण परियोजनाओं के लिए अधिक न्यायसंगत और आसान पहुंच मिल सके. उन्होंनेआदिवासी समुदायों और स्थानीय लोगों की भागीदारी बढ़ाने की भी बात कही.गौरतलब है कि अगले साल होने वाले ब्रिक्स सम्मेलन की अध्यक्षताभारत करने वाला है। इसके लिए ब्रिक्स नेताओं ने भारत को शुभकामनाएं दीं और 18वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की मेजबानी के लिए भारत को समर्थनदिया. ब्रिक्स सम्मेलन में भारत को 2028 में सीओपी-33 की मेजबानी की दावेदारी को लेकर बड़ा समर्थन मिला. ब्रिक्स देशों ने जलवायु परिवर्तन सेनिपटने के लिए पेरिस समझौते की प्रतिबद्धता दोहराई.

संरक्षण पर दिया जोर
साथ ही इस दौरान ब्राजील में होने वाले सीओपी-30 को भी समर्थन मिला और वनों के संरक्षण पर जोर दिया गया. ब्राजील की अध्यक्षता में, ब्रिक्सदेशों ने विकासशील देशों के लिए वित्तीय सहायता बढ़ाने, पेरिस समझौते को लागू करने तथा जलवायु वित्त को $1.3 ट्रिलियन तक पहुंचाने पर जोरदियाब्रिक्स नेताओं ने UN सुरक्षा परिषद, IMF, तथा WTO में सुधार पर बल दिया, साथ ही संयुक्त रूप से पेरिस समझौते के लक्ष्यों कोप्रासंगिकता का जिक्र किया भारत और अन्य विकासशील देशों ने Global South के हितों को लेकर कार्बन उपयोग, अनुकूलन और वित्तीय सहायतामें न्याय का जोरदार रुख अपनाया BRICS ने न केवल आर्थिक या रणनीतिक मुद्दों पर एकजुटता दिखाई, बल्कि वैश्विक जलवायु कार्रवाई के क्षेत्र मेंभी एक नई दिशा मांगी. भारत को COP‑33 की मेजबानी के प्रस्ताव को व्यापक समर्थन मिलने के साथ, वैश्विक स्तर पर इसका महत्व और गतिबढ़ेगी। आगामी COP‑30 और COP‑33 को बरकरार रखने का यह कदम साबित करता है कि विकासशील देशों की आवाज अब निर्णायक होचुकी है.

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