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कांग्रेस का आरोप – दुबे दंपती की संपत्ति में 15 वर्षों में चौंकाने वाली बढ़ोतरी
कांग्रेस पार्टी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के करीबी भाजपा सांसद निशिकांत दुबे की पत्नी अनामिका गौतम की संपत्ति में पिछले15 वर्षों में हुई भारी वृद्धि पर गंभीर सवाल उठाए हैं।


कांग्रेस ने कहा कि यह मामला मोदी सरकार के भ्रष्टाचार मिटाने के दावों को पूरी तरह झूठा साबित करता है। पार्टी का कहना है कि जब विपक्षीनेताओं के खिलाफ हर छोटी बात पर जांच बैठा दी जाती है, तो भाजपा नेताओं की बेहिसाब संपत्ति पर सरकार मौन क्यों है?

दुबे दंपती से मांगा स्पष्टीकरण
कांग्रेस की प्रवक्ता और सोशल मीडिया व डिजिटल प्लेटफॉर्म्स की अध्यक्ष सुप्रिया श्रीनेत ने यह मामला विस्तार से रखा।उन्होंने निशिकांत दुबे औरउनकी पत्नी की संपत्ति में हुई तेज़ वृद्धि पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह सामान्य नहीं हो सकता। श्रीनेत ने कहा कि पार्टी दुबे दंपती से स्पष्टस्पष्टीकरण चाहती है और इस पूरे मामले की गहन जांच की मांग करती है।

संपत्ति में असामान्य उछाल – 50 लाख से 31 करोड़ तक का सफर
कांग्रेस प्रवक्ता ने दुबे के चुनावी हलफनामों और उनकी पत्नी के आयकर रिटर्न का हवाला देते हुए कहा कि 2009 में अनामिका गौतम के पास 50 लाख रुपये की चल संपत्ति थी, जबकि कोई अचल संपत्ति नहीं थी। 2014 में उनकी चल संपत्ति 1.03 करोड़ और अचल संपत्ति 5.53 करोड़ रुपयेहो गई। 2019 में चल संपत्ति 3.72 करोड़ और अचल संपत्ति 9.33 करोड़ रुपये तक पहुंची। 2024 में दुबे की पत्नी की कुल संपत्ति 40 करोड़ रुपयेदिखाई गई, जिसमें से आठ करोड़ रुपये विभिन्न लोगों से लिए गए ऋण के रूप में दर्शाए गए। ऋण घटाने के बाद कुल संपत्ति 31.32 करोड़ रुपयेबताई गई।

आय में 54 गुना की वृद्धि पर कांग्रेस का सवाल
सुप्रिया श्रीनेत ने बताया कि 2013-14 में निशिकांत दुबे की पत्नी की वार्षिक आय करीब चार लाख रुपये थी, जो 2017-18 में बढ़कर 2.16 करोड़ रुपये हो गई। यानी केवल चार वर्षों में आय में 54 गुना वृद्धि।उन्होंने कहा कि जब संपत्ति 31 करोड़ रुपये तक पहुंची, तब उनकी वार्षिक आय2.63 करोड़ रुपये बताई गई। श्रीनेत ने कहा कि आय और संपत्ति के बीच कोई तार्किक संबंध नहीं है, और यह साफ तौर पर आय से अधिक संपत्तिअर्जित करने का मामला है।

संदिग्ध ऋण और झूठे दावे पर उठे सवाल
कांग्रेस प्रवक्ता ने 2024 के हलफनामे में दिखाए गए 8.28 करोड़ रुपये के ऋण पर भी संदेह जताया। उन्होंने कहा कि यह चार अलग-अलगव्यक्तियों से लिया गया असुरक्षित ऋण बताया गया है, यानी इसके बदले कोई गारंटी या संपत्ति नहीं रखी गई। श्रीनेत ने बताया कि दुबे ने दावाकिया था कि अभिषेक झा नामक व्यक्ति ने उन्हें एक करोड़ रुपये का ऋण दिया है, जबकि अभिषेक झा ने सार्वजनिक रूप से इस दावे को खारिज करदिया। झा ने खुद निशिकांत दुबे के खिलाफ निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था।श्रीनेत ने कहा कि यह विरोधाभास इस बात का संकेत हैकि यह ऋण कागज़ी हो सकता है और वास्तविक लेन-देन नहीं हुआ।

भाजपा की चुप्पी और दोहरे मानदंड पर सवाल
सुप्रिया श्रीनेत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा नेतृत्व से सवाल किया कि जब विपक्षी नेताओं पर बिना सबूत जांच बैठाईजाती है, तो भाजपा सांसदों पर क्यों नहीं? उन्होंने कहा कि यह मामला भाजपा की ईमानदारी की राजनीति का वास्तविक चेहरा उजागर करता है।मोदी सरकार अपने नेताओं पर कार्रवाई करने से बचती है, जबकि विपक्ष को बदनाम करने के लिए एजेंसियों का दुरुपयोग करती है। श्रीनेत ने कहा, येघटनाएं साबित करती हैं कि मोदी सरकार का ‘भ्रष्टाचार मुक्त भारत’ का नारा सिर्फ चुनावी जुमला है।

लोकपाल की कार्यवाही पर भी उठे सवाल
सुप्रिया श्रीनेत ने बताया कि 24 मई 2025 को लोकपाल में निशिकांत दुबे के खिलाफ औपचारिक शिकायत दर्ज हुई थी। इसके बाद 24 जुलाईको लोकपाल की पूर्ण पीठ ने दुबे को चार सप्ताह के भीतर जवाब देने का आदेश दिया था।उन्होंने सवाल उठाया कि आज तक यह स्पष्ट नहीं है किदुबे ने कोई जवाब दिया भी या नहीं, और लोकपाल ने आगे क्या कार्रवाई की।

कांग्रेस की मांग – पारदर्शी जांच और जवाबदेही
प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि यह सिर्फ एक सांसद या उनकी पत्नी का मामला नहीं, बल्कि शासन में पारदर्शिता और जवाबदेही का प्रश्न है।उन्होंने कहा कि यदि मोदी सरकार वास्तव में भ्रष्टाचार के खिलाफ गंभीर है, तो उसे निशिकांत दुबे और उनकी पत्नी की संपत्ति की निष्पक्ष जांच करानीचाहिए। श्रीनेत ने कहा कि कांग्रेस पार्टी इस मुद्दे को संसद से लेकर सड़कों तक उठाएगी, ताकि देश के नागरिकों को सच्चाई पता चल सके।




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