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दिल्ली नगर निगम में कार्यरत 12 हज़ार कर्मचारियों का भविष्य आज भी अधर में लटका हुआ है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिन कर्मचारियों ने वर्षों तकदिल्ली की सेवा की, उन्हें आज भी पक्की नौकरी से वंचित रखा जा रहा है। आम आदमी पार्टी ने इस अन्याय के ख़िलाफ़ आवाज़ बुलंद करते हुएभारतीय जनता पार्टी से माँग की है कि इन सभी 12 हज़ार कर्मचारियों को तत्काल नियमित (पक्का) किया जाए।


सदन में प्रस्ताव पारितफिर भी पक्का नहीं कर रही भाजपा

नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष अंकुश नारंग ने कहा कि फरवरी और मार्च महीने में ही आप की सरकार ने इन कर्मचारियों को नियमित करने का प्रस्तावसदन में पास कर दिया था। इतना ही नहीं, कर्मचारियों के वेतन के लिए आठ सौ करोड़ रुपये का बजट प्रावधान भी किया गया था। फिर भी भाजपाकी शासित नगर निगम ने जानबूझकर इन कर्मचारियों को पक्का नहीं किया है। यह दर्शाता है कि भाजपा की नीयत में खोट है।


भ्रष्टाचार को संरक्षण दे रही भाजपा

अंकुश नारंग ने स्पष्ट आरोप लगाया कि भाजपा के नेताओं और नगर निगम के वरिष्ठ अधिकारियों की कुछ दलालों से साँठगाँठ है। ये दलालकर्मचारियों से लाखों रुपये की माँग करते हैं और उन्हें पक्का करवाने का झाँसा देते हैं। ऐसे में कर्मचारी मजबूरीवश इन दलालों का शिकार बनते हैं।यह पूरी प्रक्रिया भ्रष्टाचार से ग्रस्त है और इसका सीधा समर्थन भाजपा के नेताओं द्वारा किया जा रहा है।
पारदर्शिता के लिए सिंगल विंडो प्रणाली लागू हो – आप पार्टी की माँग है कि एमसीडी में पारदर्शिता लाने के लिए एकल खिड़की प्रणाली (सिंगलविंडो सिस्टम) लागू की जाए, जहाँ कर्मचारी सीधे आवेदन कर सकें और उन्हें किसी दलाल के पास जाने की आवश्यकता न हो। इससे भ्रष्टाचार परअंकुश लगेगा और कर्मचारियों का शोषण रुकेगा।


अटेंडेंस की माँगलेकिन रिकॉर्ड की ज़िम्मेदारी किसकी

जब कोई कर्मचारी नियमित होने के लिए आवेदन करता है, तो अधिकारियों द्वारा उससे उपस्थिति (अटेंडेंस) की माँग की जाती है। जबकि उपस्थितिदर्ज करना और उसका रिकॉर्ड रखना नगर निगम की ज़िम्मेदारी है, न कि कर्मचारी की। कई कर्मचारी वर्षों से कार्य कर रहे हैं लेकिन उनकी उपस्थितिका रिकॉर्ड निगम के पास सुरक्षित नहीं है। यदि रिकॉर्ड रूम में आग लग जाए या दस्तावेज़ ग़ायब हो जाएँ, तो कर्मचारी कैसे प्रमाण देगा? क्या यहउसकी ग़लती है?
सेवानिवृत्त कर्मचारियों को नहीं मिल रहे हैं लाभ – अंकुश नारंग ने बताया कि हाल ही में सेवानिवृत्त हुए साठ कर्मचारी ऐसे हैं जिन्हें न तो कोई सेवानिवृत्ति लाभ मिला, न ही नक़द रहित चिकित्सा योजना (कैशलेस मेडिकल योजना)। उन्हें केवल एक खाली लिफाफा देकर विदाई दी गई। यहअमानवीय व्यवहार भाजपा के शासन में कर्मचारियों के प्रति असंवेदनशील रवैये को दर्शाता है।
सुप्रीम न्यायालय की दिशा-निर्देशों की भी अवहेलना – सर्वोच्च न्यायालय का स्पष्ट आदेश है कि यदि कोई कर्मचारी एक वर्ष में दो सौ चालीस दिनकार्य करता है, तो उसे नियमित किया जाना चाहिए। परन्तु भाजपा शासित नगर निगम इस नियम की भी अनदेखी कर रहा है। यह सीधा कानून औरन्यायिक प्रक्रिया का उल्लंघन है।


नगर निगम में अराजकता का माहौलभाजपा का कोई ठोस योजना नहीं

वर्ष 1998 से लेकर आज तक कई कर्मचारी अस्थायी रूप से कार्यरत हैं। शिक्षा विभाग में 1995 से 2002 के बीच की वरिष्ठता सूची बनी, लेकिनकार्यान्वयन आज तक नहीं हुआ। विभिन्न विभागों में नियुक्त कर्मचारी यह तक नहीं जानते कि उनकी स्थायी नियुक्ति किस विभाग में मानी जा रही है— स्वास्थ्य विभाग या ठोस अपशिष्ट प्रबंधन विभाग।


भ्रष्टाचार पर लगाम और कर्मचारियों को अधिकार मिले

अंकुश नारंग ने माँग की कि भाजपा शासित नगर निगम एक पारदर्शी व्यवस्था लागू करे जिसमें कर्मचारियों को बिना किसी बाधा के पक्का कियाजाए। नगर निगम में भ्रष्टाचार फैलाने वाले अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई हो और नेताओं की मिलीभगत बंद हो।


मेयर चुप क्योंकर्मचारियों की सुध क्यों नहीं ली

राजा इकबाल सिंह को मेयर बने दो माह से अधिक हो चुके हैं लेकिन उन्होंने न तो कभी सफ़ाई व्यवस्था पर बात की, न कूड़े के पहाड़ों पर और न हीकच्चे कर्मचारियों की स्थिति पर। क्या भाजपा सत्ता का केवल आनंद लेना चाहती है? क्या उनकी नज़रों में कर्मचारी केवल एक संख्या भर हैं?


भाजपा दे जवाब-12 हज़ार कर्मचारी कब होंगे पक्के?
अब भाजपा को दिल्ली की जनता और इन 12 हज़ार कर्मचारियों को जवाब देना चाहिए कि उनकी नियमित नियुक्ति कब होगी। वेतन का बजट पासहो चुका है, सदन से प्रस्ताव भी पारित हो चुका है, फिर देरी किस बात की? यह कोई दया नहीं, कर्मचारियों का अधिकार है-जो उन्हें मिलना हीचाहिए।






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