
बिहार की राजनीति एक बार फिर करवट ले रही है। नवादा जिले में महागठबंधन की एकजुटता पर सवाल उठने लगे हैं, क्योंकि सीट बंटवारे को लेकरअसंतोष बढ़ता दिख रहा है। खासकर वारिसलीगंज विधानसभा सीट पर आरजेडी और कांग्रेस आमने-सामने आ गए हैं। कुख्यात बाहुबली अशोकमहतो की पत्नी कुमारी अनीता को राजद ने वारिसलीगंज से अपना उम्मीदवार बनाया है। तेजस्वी यादव ने उन्हें पार्टी का सिंबल सौंपते हुए समर्थन भीदिया। वहीं, कांग्रेस ने उसी सीट से सतीश कुमार उर्फ मंटन सिंह को मैदान में उतारकर सीधा मुकाबला खड़ा कर दिया है। महागठबंधन के इस’दोस्ताना मुकाबले’ के पीछे रणनीति जो भी हो, असल में यह भीतर ही भीतर फूट की कहानी भी बयां कर रहा है। वारिसलीगंज से दोनों उम्मीदवारों कानामांकन शनिवार को होना है।
प्रमंडल से जीतने वाले अकेले मुस्लिम विधायक
नवादा सदर सीट, गोविंदपुर और रजौली विधानसभा सीटों पर अभी तक कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है। राजद के कौशल यादव गोविंदपुर औरनवादा सीटों पर अपने और अपनी पत्नी के लिए टिकट की मांग कर रहे हैं। वहीं, गोविंदपुर सीट पर मौजूदा विधायक मो. कामरान भी टिकट पर अड़ेहुए हैं। कामरान मगध प्रमंडल से जीतने वाले अकेले मुस्लिम विधायक थे, और उन्हें किनारे किया जाना कई राजनीतिक समीकरणों को प्रभावित करसकता है।
राजनीतिक हलचलों को जन्म दे रहा
रजौली विधानसभा सीट से मौजूदा विधायक प्रकाशवीर को तेजप्रताप यादव की पार्टी जन शक्ति जनता दल ने अपना उम्मीदवार बनाकर मैदान मेंउतार दिया है। यह कदम महागठबंधन के अंदर नई राजनीतिक हलचलों को जन्म दे रहा है। प्रकाशवीर ने हाल ही में जदयू की सदस्यता ग्रहण की थीऔर अब वह ब्लैकबोर्ड के सिंबल पर चुनाव लड़ेंगे। अब सवाल यह उठता है कि क्या महागठबंधन की यह रणनीति वोटों के बंटवारे का कारण बनेगी? क्या मतदाता इस ‘दोस्ताना लड़ाई’ को स्वीकार करेंगे या इसे महागठबंधन की विफलता के रूप में देखेंगे? नवादा की जनता अब इन सियासीगणनाओं का मूल्यांकन करेगी, और नतीजे तय करेंगे कि महागठबंधन की यह चाल बाजी मानेगी या मात। पिछले दिनों यह बात खूब वायरल हुई थीकि तेजस्वी यादव ने कुख्यात अशोक महतो को दरवाजे से लौटा दिया। अब अशोक महतो की पत्नी को तेजस्वी यादव ने बिहार चुनाव का टिकट देदिया है।