NEWS अब तक

मणिपुर में जल जीवन मिशन के तहत एक बड़ा घोटाला सामने आने की आशंका जताई गई है। इस पूरे मामले का खुलासा क्षेत्रीय दौरे के दौरान हुआ, जब यह पाया गया कि जिन गांवों में सरकार ने नल जल योजना के अंतर्गत हर घर तक पानी पहुंचाने का दावा किया था, वहां एक भी घर में काम कररहा नल नहीं मिला। यह सच्चाई सरकारी आंकड़ों और दावों से बिल्कुल उलट है, जिससे इस पूरी योजना पर गंभीर सवाल उठने लगे हैं।

जमीनी हकीकत में नहीं मिला एक भी चालू नल
मणिपुर के कई गांवों में किए गए निरीक्षण के दौरान यह पाया गया कि किसी भी घर में नल से पानी नहीं आ रहा है। ग्रामीणों ने साफ तौर पर बतायाकि उन्हें अब तक घर-घर नल जल योजना का कोई लाभ नहीं मिला है। इस बात से यह स्पष्ट हो गया कि जो आंकड़े सरकार पेश कर रही है, वेवास्तविकता से बहुत दूर हैं।

मणिपुर उच्च न्यायालय में मामला दायर
इस गंभीर अनियमितता को देखते हुए मामला मणिपुर उच्च न्यायालय में ले जाया गया है। इसे एक बड़े घोटाले के रूप में देखा जा रहा है।शिकायतकर्ता ने कहा कि यह सिर्फ धन का दुरुपयोग नहीं, बल्कि आम जनता के अधिकारों से किया गया खिलवाड़ है। उन्होंने कहा कि देश को यहजानना चाहिए कि मणिपुर में जल जीवन मिशन के नाम पर एक बहुत बड़ा घोटाला चल रहा है।

संसद में उठाया गया सवालमंत्री ने दिए आंकड़े
यह मुद्दा पहले भी लोकसभा में उठाया गया था। मंत्री से पूछा गया था कि जल जीवन मिशन के तहत मणिपुर में कितने घरों को नल से पानी कीसुविधा दी गई है। इसके जवाब में सरकार ने बताया कि अगस्त 2019 में इस योजना की शुरुआत से पहले मणिपुर में केवल 26,000 ग्रामीण घरों(लगभग 5.74 प्रतिशत) में नल से पानी की सुविधा थी। इसके बाद योजना लागू होने के बाद सरकार के अनुसार 3,33,539 अतिरिक्त ग्रामीण घरोंमें नल जल कनेक्शन दिया गया। इस प्रकार 28 जुलाई 2025 तक कुल 4,51,619 ग्रामीण घरों में से 3,59,459 घरों (लगभग 79.59 प्रतिशत) में नल जल की सुविधा उपलब्ध होने का दावा किया गया।

आंकड़ों और सच्चाई में बड़ा अंतर
सरकारी दावों के मुताबिक, मणिपुर में लगभग 80 प्रतिशत ग्रामीण घरों में नल जल पहुंच चुका है। लेकिन जब जमीनी स्तर पर जांच की गई, तोतस्वीर बिल्कुल अलग थी। किसी भी गांव में एक भी घर ऐसा नहीं मिला जहां नल से पानी आ रहा हो। यह अंतर इस बात की ओर संकेत करता है किया तो योजना का क्रियान्वयन पूरी तरह विफल रहा है या फिर इसमें भारी भ्रष्टाचार हुआ है।

एक हजार करोड़ से अधिक की राशि का उपयोग
सरकार की रिपोर्ट के अनुसार, इस योजना के लिए कुल 1202 करोड़ रुपये का उपयोग किया गया है। इसमें से केंद्र सरकार का हिस्सा 1078.82 करोड़ रुपये है जबकि राज्य सरकार ने 124.03 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। इतनी बड़ी राशि खर्च करने के बावजूद अगर ग्रामीणों को एक बूंद पानी भीनहीं मिला, तो यह निश्चित रूप से गहरी जांच का विषय है।

जनता के साथ धोखा और जिम्मेदारी तय करने की मांग
इस मामले ने लोगों के बीच गुस्सा पैदा कर दिया है। ग्रामीणों का कहना है कि वे रोजमर्रा की जरूरतों के लिए अब भी पुराने स्रोतों, जैसे कुएं औरझरनों, पर निर्भर हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने केवल कागजों पर ही पानी पहुंचाया है, जमीन पर नहीं। अब लोग इस योजना में हुए भ्रष्टाचार कीनिष्पक्ष जांच और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *