
महाराष्ट्र में तीन भाषा नीति को लेकर हंगामा जारी है अब कांग्रेस सांसद वर्षा गायकवाड़ ने महायुति सरकार के उन आरोपों को खारिज कर दिया है. जिनमें महायुति सरकार ने दावा किया है कि पूर्व की महाविकास अघाड़ी सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत तीन भाषा नीति को स्वीकार किया था. वर्षा गायकवाड़ ने कहा कि महाराष्ट्र पर जबरन हिंदी थोपने को बर्दाश्त नहीं करेंगे. महाराष्ट्र की पूर्व स्कूल शिक्षा मंत्री और कांग्रेस सांसद वर्षागायकवाड़ ने कहा कि ‘हम हिंदी भाषा के खिलाफ नहीं हैं लेकिन हम महाराष्ट्र में इसे जबरन थोपने को स्वीकार नहीं करेंगे. महाराष्ट्र में विपक्षी पार्टियांसरकार पर कक्षा एक से ही बच्चों पर हिंदी थोपने का आरोप लगा रही हैं.
हाल ही जारी किया आदेश
दरअसल सरकार ने हाल ही में एक आदेश जारी किया. जिसमें कहा गया कि राज्य के स्कूलों में अंग्रेजी और मराठी के साथ ही हिंदी भी तीसरी भाषाहोगी जो पहली कक्षा से पांचवीं तक पढ़ाई जाएगी. शिवसेना यूबीटी ने अपने कार्यकर्ताओं से सरकार के इस प्रस्ताव का विरोध करने को कहा है. महाराष्ट्र में कल से विधानसभा सत्र शुरू होने जा रहा है जिसमें भाषा के मुद्दे पर हंगामे के आसार हैं. हिंदी के बढ़ते विरोध के बीच महाराष्ट्र सरकार केमंत्री उदय सामंत ने शुक्रवार को कहा कि पहली कक्षा से हिंदी की पढ़ाई अनिवार्य करने की मंजूरी उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महाविकास अघाड़ीसरकार ने मंजूर की थी। इस पर पूर्व शिक्षा मंत्री वर्षा गायकवाड़ ने सफाई देते हुए कहा कि सत्ताधारी पार्टी और उनके सहयोगी झूठ फैला रहे हैं.
महाविकास अघाड़ी सरकार ने दी थी मंजूरी
झूठ फैलाने की भी सीमा होती है भाजपा व्यवस्थागत तरीके से मराठी भाषा को अपनी ही जमीन पर कमजोर करने में जुटी है. गायकवाड़ ने ये भी दावाकिया गया कि ‘पूर्व की शिंदे सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति को स्वीकार किया और इसके जरिए पीएम-श्री योजना के तहत केंद्र से फंड लिया. लेकिनअब राज्य में इसके असर दिखने लगे हैं.हिंदी के बढ़ते विरोध के बीच महाराष्ट्र सरकार के मंत्री उदय सामंत ने शुक्रवार को कहा कि पहली कक्षा से हिंदीकी पढ़ाई अनिवार्य करने की मंजूरी उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महाविकास अघाड़ी सरकार ने मंजूर की थी.