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साल 2018 की बात है बिहार में एक ऐसे मामले का खुलासा हुआ था. जिसने राज्य सरकार की नींद उड़ा दी. मामला मुजफ्फरपुर के एक बालिकागृह में 34 नाबालिग लड़कियों के यौन उत्पीड़न का था. इस कांड की खबरें सामने आते ही जबरदस्त विरोध प्रदर्शन हुए और मुख्यमंत्री नीतीश कुमारको पूरे मामले की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपनी पड़ी. इसके बाद जो खुलासे हुए उसके चलते 11 आरोपियों को आजीवनकारावास की सजा हुई. साल 2017 में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (TISS) के रिसर्चर्स के एक समूह ने बिहार सरकार के समाज कल्याणविभाग के तत्कालीन प्रमुख सचिव अतुल प्रसाद से मुलाकात की। इस समूह ने अपने फील्ड एक्शन प्रोजेक्ट ‘कोशिश’ के तहत बिहार में निजी तौर परचलाए जा रहे बालिका गृहों के सर्वे की इजाजत मांगी.

बालिका गृहों के करने होगें सभी सर्वे
अतुल प्रसाद ने TISS के रिसर्चर्स के समूह को सरकारी बालिका गृहों के भी सर्वे करने के लिए कहा. इसका मकसद राज्यभर के शेल्टर होम कीस्थितियों की स्पष्ट तस्वीर हासिल करना था. बताया जाता है कि समाज कल्याण विभाग उस दौरान TISS की रिसर्च के जरिए राज्यभर में चल रहे110 बालिका गृहों की स्थिति बेहतर करने के तरीके जानना चाहता था. ताकि उन्हें अच्छे ढंग से संचालन के लिए सरकार की तरफ से जरूरी मददपहुंचाई जा सके। इजाजत मिलने के बाद टाटा इंस्टीट्यूट के रिसर्चर्स ने बालिका गृहों का सर्वे शुरू किया. सर्वे के दौरान बालिका सुधार गृहों के स्टाफउनमें रहने वाली लड़कियों से बात की गई. बातचीत के जरिए सर्वे टीमों को करीब 15 शेल्टर होम्स में प्रताड़ना, दुष्कर्म और उत्पीड़न की शिकायतेंमिलीं.

2018 में दी गई थी TISS रिपोर्ट
इनमें मुजफ्फरपुर का एक बालिका गृह ऐसी शिकायतों का केंद्र था. 2018 में TISS की तरफ से जो रिपोर्ट दी गई, उसके मुताबिक मुजफ्फरपुर मेंसेवा संकल्प एवं विकास समिति की तरफ से जो बालिका सुधार गृह चलाया जाता था, उसमें 7 से 17 साल की 42 बच्चियां रहती थीं. इनमें सेकरीब 34 बच्चियों के साथ यौन उत्पीड़न और टॉर्चर जैसी घटनाएं हुई थीं. बताया जाता है कि टाटा इंस्टीट्यूट की टीम ने फरवरी 2018 में अपनीरिपोर्ट पूरी कर ली और नीतीश कुमार सरकार को अप्रैल 2018 में इसे सौंप दिया। हालांकि राज्य सरकार ने करीब एक महीने तक इस रिपोर्ट पर कोईएक्शन नहीं लिया. इस बीच TISS की रिपोर्ट के कुछ अंश लीक हो गए और राज्य सरकार पर बालिका गृह कांड की घटना पर ध्यान न देने के आरोपलगने लगे.

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