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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हर मंच से लोगों को स्वदेशी अपनाने पर जोर दे रहे हैं उनकी अपील है कि हर दुकानदार अपनी दुकानों के सामने यह बोर्ड लगाएकि वे स्वदेशी बेचते हैं और इसमें गर्व महसूस करते हैं. पीएम की यह अपील अमेरिका के टैरिफ वॉर और एच वन बी वीजा पर भारी शुल्क लगाने केबाद और ज्यादा प्रासंगिक हो गई है इसके पहले चीन ने भी रेयर अर्थ मेटल को एक रणनीतिक वस्तु की तरह उपयोग किया था और भारत जैसे अनेकदेशों के सामने संकट पैदा कर दिया था इसके बाद से ही यह अपील की जाने लगी कि भारत जैसे देश को महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में आत्मनिर्भर होना चाहिएलेकिन बड़ा प्रश्न यही है कि आज के ग्लोबलाइजेशन के दौर में पूरी तरह स्वदेशी होने की बात करना कितना प्रासंगिक है? स्वदेशी अपनाना किस हदतक संभव है और इसके क्या परिणाम सामने आ सकते हैं?
भारत के नोएडा-गुरुग्राम या बंगलौर जैसे शहरों में इनकी असेंबलिंग
भारत का व्यापार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहुत तेजी के साथ बढ़ रहा है युवा नए-नए स्टार्टअप लगाकर अपना रोजगार खड़ा कर रहे हैं और इनमें से कुछसफल भी हो रहे हैं लेकिन ध्यान से देखने पर समझ आता है कि हमारे युवाओं के ज्यादातर व्यवसाय सर्विस प्रोवाइडर कैटेगरी में हैं जैसे कोई ऐप यासॉफ्टवेयर विकसित कर खाना, कपड़ा या अन्य सामान पहुंचाने का काम कर रहा है तो कोई घूमने या कोई अन्य सेवा को प्रदान कर रहा है ये व्यवसायबुरे नहीं हैं, लेकिन समझने की आवश्यकता है कि ये केवल सर्विस सेक्टर है। यह कोर मैन्युफैक्चरिंग नहीं है. इसी तरह भारत ने मोबाइल, लैपटॉप औरटीवी जैसी चीजों को बनाने में अच्छी प्रगति दिखाई है। लेकिन इनमें से अधिकतम चीजों की केवल असेंबलिंग हो रही है इनमें लगने वाली सभीमशीनों, कल-पुर्जों का चीन जैसे देशों से आयात किया जा रहा है और भारत के नोएडा-गुरुग्राम या बंगलौर जैसे शहरों में इनकी असेंबलिंग कर इन परभारत में बने होने का ठप्पा लगाया जा रहा है.
रसायन और मशीनों का चीन से आयात किया जा रहा
लेकिन यह भी कोर मैन्युफैक्चरिंग नहीं है जब भी ये देश चाहें, हमें कोर मशीनों, कलपुर्जों का निर्यात बंद कर इन वस्तुओं के उत्पादन में हमें शून्य स्तरपर ला सकते हैं. भारत स्वास्थ्य सेक्टर में दवाइयों, मेडिसिनल कपड़ों, मशीनों के उत्पादन में एक वैश्विक शक्ति बना है लेकिन मोबाइल-लैपटॉप सेक्टरकी तरह इस सेक्टर में उपयोग होने वाली अधिकतम वस्तुएं, रसायन और मशीनों का चीन से आयात किया जा रहा है यदि कल चीन इन रसायनों कानिर्यात रोक दे तो भारत में अनेक दवाइयों के निर्माण में भारी परेशानी पैदा हो जाएगी भारत सौर ऊर्जा का बड़ा खिलाड़ी बनने की राह पर है लेकिन इससेक्टर में भी लगभग वही स्थिति है यानी यदि चीन आज सौर ऊर्जा के पैनल और बैटरियां निर्यात करना बंद कर दे तो हमारे सामने वही स्थिति पैदा होजाएगी जैसे कि अमेरिकी टैरिफ लगाने के बाद हमारे एमएसएमई सेक्टर के उद्योगों के सामने हुई है.

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