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पुरी की पवित्र धरती पर हर वर्ष होने वाली भगवान श्रीजगन्नाथ जी की रथ यात्रा केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि उड़ीसा की आत्मा है। लेकिनइस वर्ष, इस परंपरा पर ऐसा आघात हुआ कि सदियों की आस्था सवालों के कटघरे में आ खड़ी हुई। उड़ीसा से कांग्रेस के वरिष्ठ सांसद अरबिंद दास नेएक प्रेस वार्ता कर रथ यात्रा से जुड़ी अनियमितताओं और भाजपा सरकार की लापरवाहियों पर तीखा हमला बोला।


1 मीटर में रुकी रथ यात्रा – क्या अब श्रद्धा भी वीआईपी पास से चलेगी? अरबिंद दास ने बताया कि इस वर्ष की रथ यात्रा कुछ कदम चलते ही रोकदी गई। परंपरा अधूरी रह गई, और हजारों भक्तों की भावनाएं कुचली गईं। उन्होंने आरोप लगाया कि यह यात्रा इसलिए रोकी गई क्योंकि कुछवीआईपी मेहमान, खासतौर पर कॉरपोरेट उद्योगपति गौतम अडानी के प्रतिनिधि, समय पर नहीं पहुंच सके। क्या अब भगवान जगन्नाथ को भी किसी”मुख्य अतिथि” के आने का इंतजार करना पड़ेगा?


5000 पास बांटे गए — भक्त नहीं, सत्ता के लोग शामिल – प्रेस वार्ता में अरबिंद दास ने खुलासा किया कि रथ यात्रा में लगभग 5000 विशेष पासबांटे गए, जो आम श्रद्धालुओं को नहीं, बल्कि भाजपा के विधायकों, नेताओं और कार्यकर्ताओं को दिए गए। उन्होंने कहा, न प्रभु का आदर हुआ, नभक्तों का सत्कार। व्यवस्था केवल सत्ता और पैसे वालों के लिए थी।


भगवान की यात्रा को बना दिया प्रचार का मंच – सांसद का कहना था कि यह रथ यात्रा अब भक्ति नहीं, बल्कि राजनीतिक इवेंट बन चुकी है। मोहनमांझी की सरकार ने सदियों पुरानी इस परंपरा को कॉरपोरेट इवेंट में बदल दिया, जहां भगवा झंडों से ज़्यादा कैमरों की फ्लैश चमकती रही, और दर्शनकी जगह दिखावा हुआ।


जनता डरी, क्या सरकार सुरक्षा दे सकती है? – इस अव्यवस्था और अविश्वास के माहौल में सवाल खड़ा होता है — क्या ऐसी सरकार पर भरोसा कियाजा सकता है? अरबिंद दास ने कहा, जब आस्था के सबसे बड़े पर्व में आम लोग असुरक्षित महसूस करें, तो वह सरकार अपने आप में असफल है। इसघटना ने लोगों के दिलों में शंका और भय पैदा कर दिया है।


मृतकों के परिजनों को 50 लाखघायलों को 25 लाख की सहायता की मांग
प्रेस वार्ता में सांसद ने यह भी बताया कि रथ यात्रा में अव्यवस्था के कारण कई लोगों की मृत्यु हो गई और दर्जनों घायल हुए। उन्होंने सरकार से मांगकी कि मृतकों के परिजनों को 50 लाख रुपए और घायलों को 25 लाख रुपए की आर्थिक सहायता तुरंत दी जाए। यह सरकार की नैतिक जिम्मेदारीहै।
मोहन मांझी इस्तीफा दें, प्रभु से क्षमा मांगें – सांसद अरबिंद दास ने मुख्यमंत्री मोहन मांझी से इस्तीफे की मांग की और कहा कि उन्हें भगवान जगन्नाथसे सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए, क्योंकि उन्होंने न केवल परंपरा का अपमान किया, बल्कि पूरी श्रद्धा को मज़ाक बना दिया।
आस्था पर सत्ता का हस्तक्षेप कब तक? भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा केवल एक धार्मिक रस्म नहीं, बल्कि उड़ीसा की आत्मा है। इसे किसी भीराजनीतिक या कॉरपोरेट हस्तक्षेप से अछूता और पवित्र रहना चाहिए। सांसद अरबिंद दास की इस मांग के साथ एक बड़ा सवाल खड़ा होता है क्याहम अपने धार्मिक मूल्यों को सत्ता के इशारों पर खोने को तैयार हैं?

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