
भारतीय राजनीति में हार और जीत दोनों ही एक स्वाभाविक प्रक्रिया हैं। किसी भी लोकतांत्रिक देश में चुनाव में सभी पार्टियों के पास बराबर का मौकाहोता है, लेकिन हर बार जीतना किसी के लिए भी संभव नहीं है। ऐसे में आमतौर पर हारने वाले दल अपनी कमियों पर विचार करते हैं और अगली बारबेहतर तैयारी के साथ मैदान में उतरते हैं। लेकिन कांग्रेस पार्टी और गांधी परिवार के इतिहास को देखें तो यहां एक अलग ही पैटर्न दिखाई देता है।
गांधी परिवार का पुराना रवैया
कांग्रेस पार्टी और गांधी परिवार का एक लंबा इतिहास है, जिसमें चुनाव हारने के बाद वे बार-बार चुनाव आयोग, मतदाताओं या चुनाव प्रणाली परसवाल उठाते रहे हैं।
इंदिरा गांधी का विवादित बयान
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने एक बार कहा था कि मतदाता मूर्खों का समूह हैं। यह बयान उस समय काफी विवाद में आया और कई लोगों ने इसेमतदाताओं का अपमान माना।
राजीव गांधी का आरोप
जब राजीव गांधी चुनाव हार गए, तो उन्होंने बैलेट पेपर को दोषी ठहराया। उनका मानना था कि बैलेट पेपर में गड़बड़ी की गई है।
वोटिंग सिस्टम पर उलझन
दिलचस्प बात यह है कि राजीव गांधी के समय जब वोटिंग मशीन (EVM) का विचार आया, तो उन्होंने कहा था कि चुनाव मशीन से कराए जाएंताकि गड़बड़ी कम हो। लेकिन आज उनके बेटे राहुल गांधी कहते हैं कि बैलेट पेपर से चुनाव कराए जाएं, क्योंकि उन्हें मशीन पर भरोसा नहीं है।
राहुल गांधी के आरोप और व्यवहार
राहुल गांधी कई बार चुनाव आयोग और EVM पर सवाल उठाते हैं। उनका कहना है कि मशीनों में गड़बड़ी होती है और इसका फायदा भाजपा कोमिलता है। लेकिन अब तक उन्होंने इसके कोई ठोस सबूत चुनाव आयोग या अदालत में पेश नहीं किए। न तो वे इस मामले में शपथपत्र देते हैं और नही औपचारिक शिकायत दर्ज करवाते हैं।
शपथपत्र और सबूत की कमी
अगर राहुल गांधी के पास सच में ऐसे सबूत हैं, जो यह साबित कर सकें कि चुनाव में धांधली हुई है, तो उन्हें कानूनी प्रक्रिया अपनानी चाहिए। ऐसा नकरने से उनके आरोप केवल बयानबाजी लगते हैं, जिन्हें जनता भी गंभीरता से नहीं लेती।
किस बात का डर?
यह सवाल अक्सर लोगों के मन में आता है कि आखिर राहुल गांधी सबूत पेश करने से बचते क्यों हैं। क्या उन्हें डर है कि उनके पास ठोस प्रमाण नहींहैं? या फिर यह डर है कि मामला कानूनी रूप से कमजोर पड़ जाएगा और उनकी राजनीतिक साख को नुकसान होगा? कुछ लोग कहते हैं कि कांग्रेसपार्टी इस तरह के आरोप लगाकर अपनी हार का दोष खुद पर नहीं आने देना चाहती, ताकि अपने समर्थकों के बीच यह संदेश जाए कि हार सिस्टम कीवजह से हुई, न कि उनकी गलतियों से। लोकतंत्र में चुनाव प्रक्रिया पर सवाल उठाना गलत नहीं है, लेकिन यह तभी सार्थक है जब आरोपों के साथपुख्ता सबूत हों। कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी को चाहिए कि अगर वे EVM या चुनाव आयोग पर आरोप लगाते हैं, तो उसके लिए ठोस प्रमाण भीपेश करें। बिना सबूत के बार-बार सिस्टम पर आरोप लगाने से न केवल जनता का भरोसा चुनाव प्रणाली पर कम होता है, बल्कि यह भी लगता है कियह सिर्फ राजनीतिक खेल है। लोकतंत्र तभी मजबूत होगा जब नेता हार और जीत दोनों को ईमानदारी से स्वीकार करेंगे।