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देश में न्याय व्यवस्था और जांच एजेंसियों की निष्पक्षता पर तब गंभीर सवाल उठने लगते हैं, जब कुछ मामलों में कार्रवाई बेहद तेज़ी से होती है औरकुछ मामलों में सालों तक कोई कार्रवाई नहीं होती। ऐसे ही एक मामले को लेकर अब सवाल खड़े हो रहे हैं — फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया केअध्यक्ष मोंटू पटेल के खिलाफ। आरोप हैं कि मोंटू पटेल ने फार्मेसी कॉलेजों की मान्यता देने के लिए मोटी रकम ली। बिना भवन, स्टाफ या जरूरीसंसाधनों के कॉलेजों को सिर्फ पैसे के आधार पर मान्यता दी गई। हालात इतने गंभीर हैं कि केवल 13 दिनों में 870 कॉलेजों को मंजूरी दे दी गई।यह न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि देश के नागरिकों के स्वास्थ्य के साथ खुला खिलवाड़ है।

दो साल तक  एफआईआर गिरफ्तारी
मोंटू पटेल के खिलाफ कई शिकायतें दर्ज हुईं, लेकिन केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई ने दो वर्षों तक न तो कोई प्राथमिकी दर्ज की और न ही उन्हेंगिरफ्तार किया। जब अदालत ने सवाल किया कि आखिर अब तक समन क्यों नहीं भेजा गया, तो सीबीआई का जवाब था — हमने उनसे फोन परबात कर ली थी। यह जवाब सुनकर सभी हैरान रह गए।
वहीं दूसरी ओर, यदि कोई आम नागरिक या विपक्षी दल का कार्यकर्ता सरकार के खिलाफ सोशल मीडिया पर कुछ लिख दे, तो उसे रातोंरात गिरफ़्तारकर लिया जाता है। यह स्थिति देश में न्याय के दोहरे मापदंडों को उजागर करती है।

भाजपा का चेहरा और भ्रष्टाचार का खेल
भाजपा का असली चेहरा अब जनता के सामने आने लगा है। लोगों का कहना है कि भाजपा का एक सूत्र बन चुका है — भाजपा का मुखौटा पहनिएऔर खुलकर भ्रष्टाचार कीजिए। पकड़े भी गए, तो जेल नहीं जाना पड़ेगा। यह स्थिति देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए बेहद खतरनाक है। जबभाजपा की सरकार में कोई गुनाह करता है, तो उसके खिलाफ या तो कार्रवाई नहीं होती या फिर जानबूझकर कमजोर जांच की जाती है। केस दर्जजरूर किए जाते हैं, लेकिन अदालत में तथ्य ही नहीं रखे जाते। यही वजह है कि दो साल तक पाँच हज़ार करोड़ रुपये के भ्रष्टाचार के बावजूद भी कोईठोस कार्रवाई नहीं हो पाई।

रॉबर्ट वाड्रा मामला: 11 साल बाद चार्जशीट?
प्रधानमंत्री बनने से पहले नरेंद्र मोदी जी हर मंच से रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ बोलते थे, लेकिन सत्ता में आए 11 साल हो चुके हैं, फिर भी उन्हें कुछ हाथनहीं लगा। अब जाकर 11 साल बाद एक चार्जशीट दाखिल की गई है, जबकि अदालतों में यह साफ नियम है कि चार्जशीट समय पर दाखिल कीजानी चाहिए।
हरियाणा में खट्टर सरकार ने इस मामले की जांच के लिए आयोग बनाया, विशेष जांच दल गठित किया, लेकिन दोनों बार कुछ भी साबित नहीं होसका। फिर से एक और जांच बैठाई गई, लेकिन वहां भी कुछ नहीं मिला। इससे साफ हो जाता है कि भाजपा केवल दिखावे की राजनीति करती है।

कांग्रेस नेताओं पर दमनलेकिन भाजपा के भ्रष्ट नेताओं पर चुप्पी
आज जब विपक्ष सरकार की नीतियों और भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज़ उठा रहा है, तो उस पर कार्रवाई की जा रही है। कांग्रेस नेता भूपेश बघेल जीजब झुकने को तैयार नहीं हुए, तो उनके बेटे को डराने की कोशिश की जा रही है। लेकिन कांग्रेस ने साफ कर दिया है — “हम न डरेंगे, न झुकेंगे।”
राहुल गांधी और प्रियंका गांधी लगातार जनता की समस्याओं को लेकर सड़कों से संसद तक संघर्ष कर रहे हैं। देश का एक बड़ा वर्ग आज उनके साथखड़ा है।

प्रधानमंत्री से मांगें
देश की जनता की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कुछ सीधी मांगें की जा रही हैं, ताकि भ्रष्टाचार के खिलाफ उनकी कथित प्रतिबद्धता को परखा जासके —
भाजपा में शामिल सभी भ्रष्ट नेताओं को पार्टी से बाहर किया जाए।
सीबीआई को निर्देश दिए जाएं कि वह अदालत के सामने सच्चाई और सभी तथ्य रखे।
इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच हो, जिसके लिए आयकर विभाग और अन्य संस्थानों को लगाया जाए।
फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया के लिए नया कानून बनाया जाए ताकि पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सके।
फार्मेसी काउंसिल में भाजपा द्वारा भरे गए सभी अपने लोगों को हटाया जाए।
काउंसिल की जिम्मेदारी किसी सेवानिवृत्त न्यायाधीश को सौंपी जाए, ताकि उसका संचालन निष्पक्ष हो सके।
आज देश एक गंभीर मोड़ पर खड़ा है। एक तरफ विपक्ष पर जांच और गिरफ्तारी का सिलसिला जारी है, वहीं दूसरी ओर सत्ता के करीब बैठे भ्रष्टनेताओं पर सरकार चुप है। ऐसे में यह सवाल उठता है- क्या भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई केवल विपक्ष के लिए है?


जनता सब देख रही है और अब जवाब मांग रही है। यदि प्रधानमंत्री वाकई भ्रष्टाचार के खिलाफ हैं, तो उन्हें तुरंत ठोस कदम उठाने चाहिए, वरना देशका विश्वास टूटता जाएगा।



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