
आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता अंकुश नारंग ने हाल ही में एक गंभीर मुद्दे पर आवाज उठाई है। उनका कहना है कि शिक्षा केवल एक विभाग नहीं, बल्कि हमारे जीवन और समाज की बुनियाद है। जब दिल्ली सरकार में आम आदमी पार्टी सत्ता में थी, तब हर वर्ष शिक्षा के लिए 25% से 40% तकबजट आवंटित किया जाता था। उन्होंने बताया कि सरकार ने स्कूलों में आधारभूत सुधार किए, अध्यापकों की स्थिति बेहतर की और विद्यार्थियों कोएक सम्मानजनक माहौल देने का प्रयास किया।
नगर निगम के स्कूलों में भी बदलाव की उम्मीद थी – नारंग ने यह भी बताया कि आम आदमी पार्टी ने जब नगर निगम में कामकाज शुरू किया, तो यहीसोचकर आगे बढ़े थे कि नगर निगम के स्कूल भी सरकारी स्कूलों की तरह सुधरेंगे। लेकिन वे स्पष्ट रूप से कहते हैं कि सिर्फ अरविंद केजरीवाल याआतिशी जैसे नेताओं से बदलाव नहीं आएगा, बल्कि हर नागरिक को आगे आकर अपने स्तर पर योगदान देना होगा।
भाजपा शासन में फैला भ्रष्टाचार शिक्षा पर सबसे बड़ा खतरा – उन्होंने भाजपा पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि वर्तमान में नगर निगम के अंदर जिसप्रकार भ्रष्टाचार फैल चुका है, वह चौंकाने वाला है। हाल ही में भाजपा ने एक सर्कुलर जारी कर सीनियरिटी सूची (वरिष्ठता सूची) तैयार करने की बातकही है। प्रश्न यह है कि भाजपा ने इतने वर्षों तक यह सूची क्यों नहीं बनाई? अब जब 2025 चल रहा है, तब यह 2002 तक की सूची बनाना केवलराजनीतिक लाभ लेने का प्रयास प्रतीत होता है।
सीनियरिटी सूची में धांधली और नियमों की अवहेलना – नारंग ने सर्वोच्च न्यायालय का हवाला देते हुए कहा कि किसी भी कर्मचारी की वरिष्ठता उसीदिन से मानी जानी चाहिए, जिस दिन उसने सेवा में योगदान दिया हो। ऐसे में जब वरिष्ठता सूची ही गलत है, तो उस पर आधारित पदोन्नति (प्रमोशन) भी कैसे वैध हो सकती है?
अपनों को लाभ देने के लिए बनाई गई फर्जी सूची – उन्होंने खुलासा किया कि भाजपा के कुछ पूर्व नेताओं ने 1997-98 में अपने नजदीकी लोगों कोनगर निगम के स्कूलों में नियुक्त कराया था, और अब उन्हीं लोगों को इस फर्जी वरिष्ठता सूची में डालकर अन्य मेहनती और वरिष्ठ शिक्षकों के ऊपरपदोन्नति दी जा रही है। यह न केवल अन्याय है, बल्कि पूरी प्रणाली के साथ छलावा है। अंकुश नारंग ने यह भी बताया कि हाल ही में नगर निगम ने46 शिक्षकों का स्थानांतरण (ट्रांसफर) किया है, जिनमें से 23 ऐसे शिक्षक थे जिन्होंने कभी स्थानांतरण की मांग ही नहीं की थी। यह इसलिए कियागया ताकि भाजपा के नजदीकी 23 लोगों को मनचाही जगहों पर समायोजित किया जा सके। यह प्रक्रिया पूरी तरह से अपारदर्शी और मनमानी से भरीहुई है।
मेयर को करनी चाहिए निष्पक्ष जांच – अंकुश नारंग ने दिल्ली के मेयर श्री राजा इकबाल से मांग की है कि इस पूरे प्रकरण की सघन और निष्पक्ष जांचकरवाई जाए। उन्होंने कहा कि अगर ऐसे मामलों पर कठोर कार्रवाई नहीं हुई, तो यह केवल एक शिक्षक या कर्मचारी का नहीं, बल्कि पूरे शिक्षा तंत्रका नुकसान है। अंकुश नारंग का यह बयान हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि क्या हम अपने बच्चों के भविष्य से समझौता कर रहे हैं? यदि शिक्षामें पारदर्शिता, ईमानदारी और न्याय नहीं होगा, तो समाज का भविष्य भी अंधकारमय होगा। अब समय आ गया है कि हम शिक्षा को राजनीति से ऊपररखें और योग्य व्यक्तियों को उनका अधिकार दिलाएं।