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दिल्ली में आवारा कुत्तों को राहत देकर इन्हें शेल्टर होम से रिहा करने का सुप्रीम कोर्ट का नया आदेश मानवीय आधार पर लिया गया फैसला है, जिसका हम स्वागत करते हैं. दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष देवेन्द्र यादव ने कहा की आवारा कुत्तो को राहत देकर इन्हें शैल्टर होम से रिहा करनेके सुप्रीम कोर्ट का नया आदेश मानवीय आधार पर लिया गया फैसला है ,जिसका हम स्वागत करते हैं . कोर्ट के आदेश के बाद सिर्फ बीमार औरआक्रामक खतरनाक कुत्तों को शैल्टर होम में रखा जाएगा, बाकि की नसबंदी कराकर उन्हें छोड़ दिया जाएगा और सार्वजनिक स्थानों पर खाना खिलानेपर प्रतिबंध लगाया है.

आवारा कुत्तों को शेल्टर से मुक्त करने के आदेश
उन्होंने कहा कि प्रश्न यह उठता है कि राजधानी में इतनी बड़ी संख्या में कुत्तों की संख्या कैसे बढ़ गई कि आज 10 लाख से भी अधिक आवारा कुत्ते हैजिन पर निगम और संबधित विभागों का कोई नियंत्रण नही है. सुप्रीम कोर्ट के आवारा कुत्तों को शेल्टर से मुक्त करने के आदेश के बाद पशु कल्याणएकता ट्रस्ट ने प्रदेश अध्यक्ष देवेन्द्र यादव से मिलकर सहमति जताई कि कांग्रेस सरकार के समय आवारा कुतों पर नियंत्रण रखने की कार्यशैली कोमौजूदा निगम में शासित भाजपा को अपनाना चाहिए.

आवारा कुत्तों को हटाने का आदेश
देवेन्द्र यादव ने कहा कि आखिर सुप्रीम कोर्ट को 11 अगस्त को आवारा कुत्तों को हटाने का आदेश क्यों देना पड़ा, यह भी गंभीर विषय है. राजधानी में डॉग बाईट और रेबीज से होने वाली मौतों के बढ़ते मामले तथा आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या पर कभी भी दिल्ली की सरकार और दिल्ली नगर निगम में कभी गौर ही नही किया। 2013 में जहां दिल्ली में केवल 60,000 आवारा कुत्तें थे, 2025 में उनकी संख्या बढ़कर 10 लाख हो गई, जो पूरी तरह दिल्ली नगर निगम की विफलताओं का प्रमाण है. देवेन्द्र यादव ने कहा कि 2002-2007 तक निगम में और 1998-2013 तक दिल्ली में कांग्रेस की सरकार थी, जिसने आवारा कुत्तों का टीकाकरण और नसबंदी जैसे उपाय अपनाकर इनकी संख्या को पूरी तरहनियंत्रित किया हुआ था. देवेन्द्र यादव ने कहा कि 2007 से 2022 तक निगम पर भाजपा सत्तासीन थी और पिछले 3 महीनों से फिर निगम में भाजपाका शासन है, जबकि 2022 में आम आदमी पार्टी निगम में सत्तासीन हुई और 2014 से दिल्ली में फरवरी 2025 तक आम आदमी पार्टी की दिल्ली में सरकार दोनो दलां ने दिल्ली में आवारा कुत्तों को पकड़ कर टीकाकरण करने पर कोई ध्यान नही दिया, जिसके कारण राजधानी में आवरा कुत्तों की संख्या लगभग एक लाख प्रतिवर्ष बढ़कर 10 लाख से उपर पहुॅच गई और डॉग बाईट के मामले में बढ़ोतरी हुई. यह अत्यंत संवेदनशीलरहा कि आवारा कुत्तों के काटने के कारण रेबीज से लोगों की मृत्यु भी हुईं.

सामूहिक टीकाकरण और नसबंदी
देवेन्द्र यादव ने कहा कि बड़े पैमाने पर कुत्तों को हटाने की बजाय बेहतर अपशिष्ट प्रबंधन के साथ-साथ सामूहिक टीकाकरण और नसबंदी कार्यक्रमजैसे मानवीय समाधानों पर ध्यान केन्द्रित किया जाना चाहिए. उन्हांने कहा कि यदि दिल्ली नगर निगम में शासित भाजपा और आम आदमी पार्टीआवारा कुत्तों की समय पर नसबंदी और टीकाकरण करते तो सुप्रीम कोर्ट को हस्तक्षेप करने की जरुरत नही पड़ती.

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