हमास के साथ युद्ध के बीच इस्राइली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू सरकार संकट में फंस गई है अति-रूढ़िवादी सैन्य कानून लागू करने के चलते उनकेगठबंधन के सहयोगियों ने सरकार का साथ छोड़ने का एलान किया है. इस्राइल में बुधवार को संसद भंग करने के लिए मतदान हुआ. विपक्ष का कहनाहै कि अगर गठबंधन के साझेदार सरकार से नाता तोड़ लेंगे तो संसद भंग हो जाएगी. अभी यह साफ नहीं है कि कौन-कौन सहयोगी सरकार का साथदेंगे. इस्राइल में अब तक यहूदी पुरुषों को लगभग तीन साल की सैन्य सेवा करनी होती है. इसके बाद कई साल रिजर्व ड्यूटी करनी होती है. वहींयहूदी महिलाओं को दो वर्ष अनिवार्य सेवा करनी होती है। जबकि इस्राइल में राजनीतिक रूप से सशक्त अति-रूढ़िवादी समुदाय को इससे छूट थी.
धार्मिक कार्य था संभालता
यह समुदाय धार्मिक कार्य संभालता है और इसके युवाओं को 26 साल की उम्र तक सरकार वजीफा देती है. अब इस्राइल की सरकार ने अति-रूढ़िवादी सैन्य कानून के तहत इस समुदाय के लोगों को भी सेना में काम करना अनिवार्य कर दिया. इस्राइल की सुप्रीम कोर्ट ने भी 2017 में अतिरूढ़िवादी को सैन्य सेवा से मिलने वाली छूट को अवैध करार दिया था. सैन्य सेवा में अति रूढ़िवादियों को शामिल करने का फैसला इसलिए लियागया है क्योंकि हमास के हमले के बाद से सैनिकों की बड़ी जरूरत महसूस हुई है. इस्राइल ने 360,000 रिजर्व सैनिकों को सक्रिय किया है. हालातयह हैं कि कई रिजर्व सैनिकों ने गाजा में सैकड़ों दिनों की कई बार ड्यूटी की है. कुछ रिजर्व सैनिक नए बुलावे को अस्वीकार कर रहे हैं रिजर्व ड्यूटी केलिए रिपोर्ट करने वाले इस्राइलियों की संख्या इतनी कम हो गई है कि सेना ने सेवा जारी रखने के लिए लोगों को भर्ती करने के लिए सोशल मीडियाका सहारा लिया है.
नेतन्याहू सरकार के कानून लागू करने की तैयारी
नेतन्याहू सरकार के कानून लागू करने की तैयारी और सरकार गिराने के लिए विपक्ष ने आह्वान किया है कि अगर सरकार में शामिल अति-रूढ़िवादीसाझेदार अपने समुदाय को सैन्य सेवा से छूट देने वाला कानून पारित करने में विफल रहते हैं तो उनके साथ नाता तोड़ लेंगे. नेतन्याहू के लिए हरेदीम याहिब्रू में दो पार्टियां बेहद जरूरी हैं. दोनों को सरकार को भंग करने के लिए मतदान करना होगा. इसमें नेतन्याहू की सबसे बड़ी समर्थक पार्टी शास भीशामिल है. शास के प्रवक्ता ने कहा कि पार्टी वर्तमान में विघटन के पक्ष में मतदान करने की योजना बना रही है. जब तक कि वार्ता में कोई सफलतानहीं मिलती दूसरी पार्टी डेगेल हाटोरा भी पिछले सप्ताह से सरकार छोड़ने की धमकी दे रही है. धर्म और राज्य मामलों के विशेषज्ञ शुकी फ्राइडमैन नेकहा कि हाटोरा युद्ध और राज्य की आर्थिक स्थिति और किसी भी अन्य चीज की परवाह नहीं करते हैं. लेकिन उनके सांप्रदायिक हित हैं। इससांप्रदायिक हित का ध्यान सेना में सेवा करने से छूट प्राप्त करना है. हालांकि माना जा रहा है कि पीएम नेतन्याहू सरकार को बचाने के लिए कोईसमझौता कर सकते हैं.