भारतीय सेना के ऑपरेशन सिंदूर के बाद कांग्रेस और भाजपा के बीच जमकर सियासी वार-पलटवार भी हो रहा है. भाजपा सांसद सुधांशु त्रिवेदी नेलोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी को आड़े हाथों लिया सुधांशु ने कांग्रेस नेता के बयान को घटिया बताया और कहा कि उनमें अभी परिपक्वताका अभाव है. यह विवाद तब शुरू हुआ जब राहुल गांधी ने मध्य प्रदेश में पार्टी सम्मेलन के दौरान कहा कि भारत-पाकिस्तान के सैन्य संघर्ष के समयअमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक इशारा किया और प्रधानमंत्री मोदी ने जी हुजूर करके सीजफायर कर दिया.
जवाबदेही को लेकर जुबानी जंग जारी
भाजपा और कांग्रेस के बीच सैनिकों की कार्रवाई और सरकार की जवाबदेही को लेकर जुबानी जंग जारी है. ताजा घटनाक्रम में भाजपा के राज्यसभासांसद सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के बयान पर भाजपा सांसद सुधांशु त्रिवेदी नेकहा”स्वघोषित, स्वयंभू, सर्वोच्च नेता, विपक्ष के नेता राहुल गांधी बेहद घटिया, निम्न-स्तरीय बयान देकर दुनिया को बता रहे हैं कि विपक्ष का नेताबनने के बाद भी उनमें गंभीरता और परिपक्वता की कमी है. जो इस पद के लिए जरूरी है. जिस तरह से राहुल गांधी ने हमारे सशस्त्र बलों की वीरताऔर ऑपरेशन सिंदूर की सफलता पर सेना अधिकारियों के ब्रीफिंग की तुलना आत्मसमर्पण से की उससे पता चलता है कि उनकी मानसिकता कितनीबीमार और खतरनाक हो गई है.भाजपा नेता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि राहुल गांधी जी ये जान लीजिए कि आप आपकी पार्टी और आपका खानदानके कारनामे आजाद हिंदुस्तान के कैलेंडरों में सरेंडर से भरे पड़े हैं.
सामने नहीं हो सकता सरेंडर
सरेंडर कांग्रेस ने किया होगा मगर भारत किसी के सामने सरेंडर नहीं हो सकता. हम विश्व की एक मात्र ऐसी सभ्यता हैं जो हजारों सालों के आक्रमणों केबाद भी जीवंत है. जिसे आप मानने का तैयार नहीं है हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत मां के शेर की तरह हैं अर्थात हमारे नरेंद्र भारत मां के मृगेंद्रहैं.सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि यूपीए सरकार के दौरान सरेंडर के कुछ वास्तविक उदाहरण साझा करना चाहता हूं. 15 जुलाई 2011 को राहुल गांधी नेकहा कि आतंकवाद को पूरी तरह से नियंत्रित करना असंभव है. यह आत्मसमर्पण था। 26/11 के मुंबई हमलों के बाद यूपीए सरकार ने कहा किपाकिस्तान के साथ वार्ता आतंकवादी गतिविधियों से प्रभावित नहीं होगी. यह भी आत्मसमर्पण था। 1971 में एक निर्णायक सैन्य जीत और 93,000 पाकिस्तानी सैनिकों के आत्मसमर्पण के बाद यूपीए नेतृत्व ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) को क्यों आत्मसमर्पण कर दिया?