राज शमानी के पॉडकास्ट में विजय माल्या ने स्पष्ट किया कि वे खुद को ‘चोर’ कहे जाने को स्वीकार नहीं करते। उन्होंने कहा कि मार्च 2016 के बाद वेभारत नहीं लौटे, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वे देश से भाग गए। माल्या के अनुसार, वे एक पूर्व निर्धारित यात्रा पर भारत से बाहर गए थे औरपरिस्थितियों के कारण वापस नहीं लौटे। उन्होंने कहा, “अगर आप मुझे भगोड़ा कहना चाहते हैं, तो कहिए, लेकिन मैं चोर नहीं हूं। मैंने कोई चोरी नहींकी।”
भारत में निष्पक्षता की गारंटी मिले तो लौटने पर विचार
यूके में रह रहे विजय माल्या ने कहा कि अगर उन्हें भारत में निष्पक्ष सुनवाई और सम्मानजनक जीवन का भरोसा मिलता है, तो वे वापसी पर गंभीरता सेविचार कर सकते हैं। उन्होंने एक ब्रिटिश कोर्ट के फैसले का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि भारत में जेल की स्थितियां यूरोपीय मानवाधिकारसंधि के अनुच्छेद 3 का उल्लंघन करती हैं। इसलिए उन्हें प्रत्यर्पित नहीं किया जा सकता।
वैश्विक वित्तीय संकट ने किंगफिशर को डुबोया
किंगफिशर एयरलाइंस के संकट पर बोलते हुए माल्या ने 2008 की वैश्विक आर्थिक मंदी को मुख्य कारण बताया। उन्होंने कहा कि उस समय पूरीदुनिया प्रभावित थी और भारत भी इससे अछूता नहीं था। “क्या आपने लेहमैन ब्रदर्स के बारे में सुना है?” माल्या ने पूछा और कहा कि मंदी के चलतेबाजार में तरलता समाप्त हो गई, और हर उद्योग पर असर पड़ा।
प्रणब मुखर्जी से की थी मुलाकात
माल्या ने बताया कि उन्होंने उस समय के वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी से मुलाकात कर किंगफिशर की स्थिति से अवगत कराया था। उन्होंने कहा किएयरलाइन को छोटा करने, विमानों की संख्या घटाने और कर्मचारियों की छंटनी की योजना बनाई गई थी, लेकिन उन्हें ऐसा न करने की सलाह दीगई। उन्हें आश्वासन दिया गया कि बैंक उनकी मदद करेंगे।
बैंकों के भरोसे शुरू हुआ पतन
माल्या ने दावा किया कि सरकार और बैंकों के समर्थन के वादों के आधार पर उन्होंने किंगफिशर को उसी रूप में चलाना जारी रखा। लेकिन समय केसाथ स्थिति बिगड़ती गई और अंत में एयरलाइन को सभी उड़ानें बंद करनी पड़ीं। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि जब ऋण लिया गया था, उस समयकंपनी का प्रदर्शन संतोषजनक नहीं था।