
केंद्र सरकार के मंत्री पीयूष गोयल के ‘चीन की बी टीम’ बयान पर आसियान देशों की नाराजगी सामने आई है. कांग्रेस ने इसे भारतीय कूटनीति के लिएझटका बताया है जयराम रमेश और आनंद शर्मा ने सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि ऐसे बयान भारत-आसियान रिश्तों को नुकसान पहुंचासकते हैं. विपक्ष ने सरकार से संयम और जिम्मेदारी की मांग की है.केंद्र सरकार के एक बयान ने भारत-आसियान रिश्तों में तनाव ला दिया है वाणिज्यमंत्री पीयूष गोयल के ‘बी टीम ऑफ चाइना’ बयान को लेकर आसियान देशों की नाराजगी सामने आई है. इसी मुद्दे पर कांग्रेस ने सरकार को आड़े हाथोंलेते हुए इसे भारतीय कूटनीति के लिए एक और झटका बताया है.
केंद्र सरकार पर साधा निशाना
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने मंगलवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व ट्विटर) पर एक मीडिया रिपोर्ट साझा करते हुए केंद्र सरकार परनिशाना साधा. रिपोर्ट के अनुसार, भारत-आसियान मुक्त व्यापार समझौते (FTA) की समीक्षा में शामिल आसियान सह-अध्यक्ष ने गोयल की हालियाटिप्पणी पर असंतोष जाहिर किया है. गोयल ने दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों को ‘चीन की बी टीम’ कह दिया था. जयराम रमेश ने अपने पोस्ट में लिखाभारत के ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्यांमार, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड और वियतनाम जैसे 10 आसियान देशों सेऐतिहासिक, सांस्कृतिक, आर्थिक और राजनीतिक गहरे रिश्ते हैं. करीब 60 साल पुराने इस संगठन की संयुक्त अर्थव्यवस्था भारत से थोड़ी ही कम है. ऐसे में वाणिज्य मंत्री का इन देशों को ‘चीन की बी टीम’ कहना दुर्भाग्यपूर्ण है अब आसियान ने भी कड़ी प्रतिक्रिया दी है.
भारतीय कूटनीति को झटका
यह भारतीय कूटनीति को एक और झटका है जो पूरी तरह टाला जा सकता था. दरअसल पिछले हफ्ते लंदन के साइंस म्यूजियम में आयोजित इंडियाग्लोबल फोरम के सत्र में पीयूष गोयल ने कहा था कि 15 साल पहले हमने उन देशों के साथ एफटीए पर ज्यादा फोकस किया जो हमारे प्रतियोगी थे. जैसे अगर मैं आसियान देशों के साथ समझौता करता हूं, तो यह मेरे बाजार को अपने प्रतिस्पर्धियों के लिए खोलने जैसा है. इनमें से कई अब चीन कीबी टीम बन चुके हैं. कांग्रेस ने गोयल के बयान पर तुरंत प्रतिक्रिया दी थी. पार्टी प्रवक्ता आनंद शर्मा ने इसे ‘गैर जिम्मेदाराना और अपमानजनक’ करारदेते हुए कहा था कि इस तरह के बयान भारत-आसियान व्यापार समझौतों को कमजोर करने वाले हैं. आनंद शर्मा ने कहा था कि यह बयान भारत औरआसियान देशों के वर्षों पुराने विश्वास और साझेदारी को नुकसान पहुंचा सकता है. सरकार को जिम्मेदारी के साथ बात करनी चाहिए न कि ऐसी भाषाका इस्तेमाल करना चाहिए जो हमारे पड़ोसियों को आहत करे.