
भाषा विवाद के बीच आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने मंगलवार को कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव हिंदी समेत 17 भाषाएंजानते थे.’पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव का जीवन और विरासत’ विषय पर व्याख्यान देते हुए मुख्यमंत्री नायडू ने उन्हें एक महान राजनेता औरदूरदर्शी व्यक्ति के रूप में याद किया. उन्होंने कहा कि पूरे तेलुगु समुदाय को उन पर गर्व है. नायडू ने कहा कि उनके और नरसिम्हा राव के बीच बहुतअच्छे संबंध थे. राव का जिक्र करते हुए नायडू ने कहा, ‘वह एक छात्र नेता, एक स्वतंत्रता सेनानी और 17 भाषाओं में पारंगत विद्वान थे. उन्होंने कहा, ‘अब हम सब सोच रहे हैं कि आपको हिंदी क्यों सीखनी चाहिए? उन्होंने न केवल हिंदी सीखी, बल्कि 17 भाषाएं भी सीखीं. इस तरह वह एक महानव्यक्ति बन गए.
कर्नाटक जैसे राज्यों में विरोध
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री और केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की साथी पार्टी के मुखिया की यह टिप्पणी भाषा विवाद के बीच आई है. राष्ट्रीय शिक्षा नीतिके तहत त्रि-भाषा फॉर्मूले का तमिलनाडु, महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे राज्यों में विरोध हुआ है. महाराष्ट्र में तो भाजपा नीत सरकार को हिंदी को तीसरीभाषा बनाने का फैसला वापस तक लेना पड़ा था. दक्षिणी राज्यों के कई नेताओं ने भी केंद्र पर ‘हिंदी थोपने’ का आरोप लगाया है. आंध्र प्रदेश केमुख्यमंत्री की यह टिप्पणी भाषा विवाद के बीच आई है. राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत त्रि-भाषा फॉर्मूले का तमिलनाडु, महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे राज्योंमें विरोध हुआ है. मुख्यमंत्री नायडू ने अमरावती में ‘पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव का जीवन और विरासत’ विषय पर आयोजित व्याख्यान में बोलतेहुए कहा कि राव का जीवन यह साबित करता है कि भाषा सीखना विभाजन का कारण नहीं, बल्कि समावेश और विकास का माध्यम है.
केंद्र सरकार पर हिंदी थोपने का आरोप
यह बयान ऐसे समय आया है जब कई दक्षिणी राज्य, विशेष रूप से तमिलनाडु, कर्नाटक और महाराष्ट्र, केंद्र सरकार पर “हिंदी थोपने” का आरोप लगाचुके हैं. भले ही तेलुगु देशम पार्टी (TDP) केंद्र में एनडीए की सहयोगी है लेकिन चंद्रबाबू नायडू ने इस मुद्दे पर सीधा टकराव नहीं, बल्कि इतिहास सेउदाहरण पेश करते हुए एक विचारोत्तेजक सन्देश दिया. उन्होंने कहा कि भारत में भाषा केवल अभिव्यक्ति का माध्यम नहीं बल्कि सांस्कृतिक पहचानऔर राजनीतिक विमर्श का भी मुद्दा बन चुकी है। इस बीच चंद्रबाबू नायडू की नरसिम्हा राव को श्रद्धांजलि और उनकी बहुभाषिकता का उल्लेख एकसुलझे हुए दृष्टिकोण का परिचायक है जहाँ भाषाएं सीखना विवाद नहीं संवाद का माध्यम बन सकती हैं. यह बयान ऐसे समय आया है जब राष्ट्रीयशिक्षा नीति (NEP) में प्रस्तावित त्रि-भाषा फॉर्मूले को लेकर दक्षिणी राज्यों समेत कई हिस्सों में तीखा विरोध हो रहा है. नायडू की यह टिप्पणी इसमुद्दे को लेकर एक संतुलित और प्रेरणात्मक दृष्टिकोण प्रस्तुत करती है.