
दिल्ली विधानसभा में विपक्ष की नेता और आम आदमी पार्टी की वरिष्ठ नेत्री आतिशी ने भाजपा सरकार द्वारा लाए जा रहे स्कूल फीस नियंत्रणविधेयक को जनता के साथ किया गया एक बहुत बड़ा धोखा बताया है। उन्होंने कहा कि यह विधेयक बच्चों, माता-पिता और अभिभावकों के हित मेंनहीं बल्कि केवल और केवल निजी स्कूल मालिकों को लाभ पहुँचाने के लिए तैयार किया गया है।
सरकार ने जानबूझकर बिल में देर की
आतिशी ने कहा कि यह विधेयक अप्रैल में ही मंत्रिमंडल में पारित हो गया था, लेकिन उसे विधानसभा में प्रस्तुत करने में चार महीने की जानबूझकरदेरी की गई। अप्रैल से जुलाई तक सरकार इस बहाने में लगी रही कि विशेष सत्र बुलाया जाएगा, अध्यादेश लाया जाएगा, केंद्र को भेजा जाएगा, लेकिन वास्तव में प्राइवेट स्कूलों को खुली छूट दी गई कि वे इस दौरान मनमाने ढंग से फीस बढ़ा लें।
विधेयक में अभिभावकों के पक्ष में कोई ठोस व्यवस्था नहीं
उन्होंने बताया कि इस विधेयक में न तो बढ़ी हुई फीस को वापस लेने का कोई प्रावधान है और न ही निजी स्कूलों के खातों की जांच का कोईप्रावधान है। यहाँ तक कि जो फीस निर्धारण समिति बनेगी, उसकी अध्यक्षता भी खुद स्कूल प्रबंधन करेगा। उन्होंने यह सवाल उठाया कि जो प्रबंधनपहले ही फीस बढ़ाकर जनता को परेशान कर चुका है, क्या वही ईमानदारी से फैसला करेगा?
मांग विधेयक को सेलेक्ट समिति को भेजा जाए,आतिशी ने दो महत्वपूर्ण मांगें रखीं
विधेयक को चयन समिति के पास भेजा जाए – यह समिति माता-पिता, शिक्षकों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और स्कूलों की राय लेकर अंतिम रूप सेविधेयक तैयार करे।, जब तक विधेयक पारित न हो, तब तक फीस बढ़ाने पर रोक लगाई जाए – यानि सभी निजी स्कूलों को 2024-25 सत्र केबराबर ही फीस लेने का निर्देश दिया जाए।
सड़कों से लेकर सदन तक विरोध करेगी आम आदमी पार्टी
आतिशी ने स्पष्ट कहा कि यदि भाजपा सरकार इस विधेयक को बिना रायशुमारी और पारदर्शिता के पारित करना चाहती है तो आम आदमी पार्टीविधानसभा के भीतर भी इसका विरोध करेगी और जरूरत पड़ी तो सड़कों पर उतरकर आंदोलन भी करेगी। यहाँ तक कि अदालत का दरवाज़ा भीखटखटाया जाएगा।