
केंद्रीय शिक्षा मंत्री और संबलपुर सांसद धर्मेंद्र प्रधान ने नई शिक्षा नीति (NEP 2020) के तहत तकनीक के दम पर होने वाले विकास की बात परजोर दिया. उन्होंने कहा कि नीलडुंगरी गांव में उगाए गए गेंदे के फूल अब लंदन के बाजारों तक पहुंच रहे हैं और ओडिशा के आम यूरोप को निर्यातकिए जा रहे हैं. शिक्षा और तकनीक के दम पर ओडिशा के किसान और ग्रामीण अब दुनिया में अपनी पहचान बना रहे हैं. केंदीय मंत्री प्रधान अपनेसंसदीय क्षेत्र संबलपुर में नुआखाई पर्व के मौके पर पहुंचे थे. इस दौरान उन्होंने कहा कि हम फसल कटने के बाद पहला अनाज मां समलेश्वरी औरभगवान जगन्नाथ को अर्पित करते हैं.
पहले से आ रहे है बेहतर नतीजे
यही संस्कृति और जमीनी जुड़ाव नई शिक्षा नीति की सोच है. नुआखाई पर्व के अवसर पर बोलते हुए प्रधान ने आगे कहा कि एएसईआर, स्कूलमूल्यांकन और PARAKH जैसी रिपोर्टों से साफ है कि राज्य में स्कूलों के नतीजे सुधर रहे हैं. उन्होंने कहा कि शिक्षा और संस्कृति एक-दूसरे से जुड़े हैं, और संबलपुर जैसे सांस्कृतिक क्षेत्र में बेहतर नतीजे आ रहे हैं. उन्होंने कहा कि संबलपुर यूनिवर्सिटी में अब संबलपुरी भाषा, लोक गीत, नृत्य औररंगबती जैसे सांस्कृतिक गीतों को पढ़ाया जा रहा है. साथ ही आदिवासी और ग्रामीण बच्चों के लिए समुदाय-आधारित शिक्षा और शुरुआती बचपनदेखभाल पर ज़ोर दिया जा रहा है.
नौकरी दिलाने की है योजना
केंद्रीय मंत्री ने आगे व्यावहारिक शिक्षा पर जोर देते हुए कहा कि एनईपी 2020 के तहत चल रहे 10 दिन बैगलेस स्कूल कार्यक्रम में बच्चे कारखानों, बाजारों और गांव के नेताओं से मिलकर अनुभव लेते हैं। मंत्री ने कहा कि यही समाज से जुड़ाव NEP की असली भावना है. उन्होंने कहा किआईआईएम संबलपुर अब सिंगापुर की यूनिवर्सिटी और सरकारी फिनटेक नेटवर्क के साथ मिलकर काम कर रहा है. अगले 5 वर्षों में 7,000 छात्रों कोफिनटेक क्षेत्र में प्रशिक्षण देकर नौकरी दिलाने की योजना है. प्रधान ने कहा कि आईआईएम संबलपुर अब देश के प्रमुख आईआईएमएम में गिनाजाता है. यह प्रधानमंत्री मोदी की दूरदर्शिता का नतीजा है. संबलपुर में अब आईआईएम, इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेज, ओपन यूनिवर्सिटी, कृषिविश्वविद्यालय समेत कई बड़े संस्थान हैं. बोधि साहू जैसे युवा, जिनका ड्रोन स्टार्टअप भारतीय सेना की मदद कर चुका है, यहीं के हैं. साथ ही प्रधान नेमाना कि कोरापुट और कालाहांडी जैसे जिलों में अभी भी 50% से ज्यादा महिलाएं स्कूल नहीं जा पाई हैं केवल 20% से कम महिलाएं 10वीं तकपढ़ाई पूरी करती हैं.