
दिल्ली विधानसभा में एक खास कार्यक्रम का आयोजन हुआ। यह कार्यक्रम दिल्ली विधानसभा के पहले अध्यक्ष चरती लाल गोयल की 98वीं जयंतीपर उनकी याद में रखा गया। इस मौके पर कई बड़े नेता, मंत्री, विधायक, पूर्व विधायक और सामाजिक कार्यकर्ता एकत्रित हुए। सभी ने मिलकरगोयल जी को श्रद्धांजलि दी और उनके आदर्श जीवन को याद किया।
किरेन रिजिजू ने क्या कहा?
केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि आजकल संसद और विधानसभा में बहस का स्तर गिर गया है। कईबार नेता केवल राजनीति का फायदा लेने के लिए भाषण देते हैं, जिससे चर्चा की गुणवत्ता खराब हो जाती है। उन्होंने कहा कि ऐसे समय में चरतीलाल गोयल जैसे नेताओं को याद करना बहुत ज़रूरी है। गोयल जी का जीवन हमें यह सिखाता है कि लोकतंत्र में संवाद, ईमानदारी और सम्मान हमेशाटकराव और अविश्वास से ऊपर होना चाहिए। रिजिजू जी ने यह भी बताया कि गोयल जी ने अपनी सादगी और मेहनत से राजनीति में सम्मान पाया।उन्होंने अनुशासन और निष्पक्षता से दिल्ली विधानसभा को 1993 में सफलतापूर्वक चलाया। सबसे बड़ी बात यह थी कि उन्होंने चुनावी राजनीति सेखुद ही दूरी बना ली और सिर्फ लोकसेवा में लगे रहे। यह आज की राजनीति में बहुत दुर्लभ उदाहरण है।
स्मारिका का विमोचन
कार्यक्रम के दौरान चरती लाल गोयल के जीवन पर आधारित एक विशेष स्मारिका (पुस्तक) भी जारी की गई। इस किताब में उनके जीवन, विचारोंऔर कामों का उल्लेख किया गया है।
हर्ष मल्होत्रा की यादें
केंद्रीय राज्य मंत्री हर्ष मल्होत्रा ने अपने संबोधन में कहा कि गोयल जी जनता की समस्याओं को बहुत ध्यान से सुनते थे। उन्होंने 1995-96 की एकघटना बताई, जब वे दिल्ली प्रिंटर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष थे। उस समय छोटे उद्योगों का मुद्दा उठाया गया था। गोयल जी ने तुरंत उनकी बात सुनीऔर संबंधित मंत्री से मीटिंग कराई। इसके बाद बवाना इंडस्ट्रियल एरिया की स्थापना हुई। मल्होत्रा ने कहा कि यह उनकी दूरदर्शिता और जनसेवा कीभावना थी।
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता का संदेश
दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने भी गोयल जी को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि गोयल जी का जीवन हमें यह सिखाता है कि विधानसभा या संसदको चलाते समय शिष्टाचार, सम्मान और रचनात्मक संवाद ज़रूरी है। उन्होंने कहा, गोयल जी का आचरण ऐसा था कि उनके विरोधी भी उनका सम्मानकरते थे। हमें भी राजनीति में ऐसा ही आचरण अपनाना चाहिए।
विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता का संबोधन
विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि गोयल जी को याद करना केवल औपचारिकता नहीं है, बल्कि यह अवसर हमें जनसेवा और लोकतांत्रिकमूल्यों को दोहराने का मौका देता है। उन्होंने बताया कि दिल्ली विधानसभा का इतिहास बहुत पुराना है। पहले 1912 में केंद्रीय विधान परिषद थी औरउसमें गोपालकृष्ण गोखले, मदन मोहन मालवीय, लाला लाजपत राय और बिपिनचंद्र पाल जैसे नेता शामिल थे। 1993 में जब दिल्ली विधानसभाबनी, तब गोयल जी इसके पहले अध्यक्ष बने और उन्होंने इसे सम्मान और अनुशासन के साथ चलाया।
विजय गोयल की भावनाएँ
पूर्व केंद्रीय मंत्री और गोयल जी के बेटे विजय गोयल ने अपने पिता को याद किया। उन्होंने कहा कि उनके पिता का जीवन सादगी, अनुशासन औरनिस्वार्थ सेवा का प्रतीक था। उन्होंने कई किस्से सुनाए –जैसे चुनाव टिकट से जुड़े हास्यपूर्ण और भावनात्मक अनुभव। उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम हमेंमाता-पिता और उनके मूल्यों को हमेशा याद रखने की प्रेरणा देता है।
अन्य नेताओं की श्रद्धांजलि
इस मौके पर कई वरिष्ठ नेताओं ने भी अपनी श्रद्धांजलि दी। इनमें लाल बिहारी तिवारी, आलोक कुमार, राम भज, किरण वालिया, रमाकांत गोस्वामीऔर मुकेश शर्मा शामिल थे। सभी ने कहा कि गोयल जी की ईमानदारी और सादगी आज भी प्रेरणा देती है। चरती लाल गोयल की 98वीं जयंती कायह कार्यक्रम वास्तव में एक लोकतांत्रिक उत्सव था। इसमें नेताओं ने उनकी ईमानदारी, सादगी, अनुशासन और जनसेवा की भावना को याद किया।
सभी ने मिलकर यह संकल्प लिया कि दिल्ली विधानसभा को हमेशा मर्यादा, सम्मान और रचनात्मक संवाद की भावना से चलाया जाएगा। ताकिजनता का विश्वास लोकतंत्र पर हमेशा बना रहे।