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शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले की सोमवार को कड़ी निंदा की और भारत के इस रुख से सहमतिजताई कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में किसी तरह का ‘दोहरा मापदंड’ स्वीकार नहीं किया जा सकता. एससीओ के संयुक्त घोषणापत्र मेंआतंकवाद के सभी रूपों की निंदा की गई। यह घोषणापत्र चीन के तटीय शहर तियानजिन में दो दिन तक चले वार्षिक शिखर सम्मेलन के अंत में जारीकिया गया. इस सम्मेलन में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुति और कई अन्य वैश्विकनेताओं ने हिस्सा लिया.
आतंकवाद से निपटने के लिए कड़ी चुनौती
एससीओ के सदस्य देशों ने इस्राइल की ओर से गाजा पर किए हमलों की भी निंदा की, क्योंकि इन हमलों में बड़े पैमाने पर आम नागरिकों की मौतहुई है और गाजा पट्टी में गंभीर मानवीय संकट पैदा हो गया है. संयुक्त घोषणापत्र में क्षेत्रीय सुरक्षा को मजबूत करने के उपायों का जिक्र किया गयाऔर आतंकवाद से निपटने को एक बड़ी चुनौती बताया गया. घोषणापत्र में कहा गया, सदस्य देशों ने 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमलेकी कड़े शब्दों में निंदा की है. एससीओ के सदस्य देशों ने पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में खुझदार और जाफर एक्सप्रेस पर हुए आतंकी हमलों कीभी निंदा की. घोषणापत्र में आगे कहा गया, उन्होंने (सदस्य देशों ने) मृतकों और घायलों के परिवारों के प्रति गहरी संवेदना और सहानुभूति व्यक्त की. साथ ही यह भी कहा कि ऐसे हमलों के अपराधियों, योजनाकारों और समर्थकों को सजा मिलनी चाहिए.

संगठनों के खिलाफ मिलकर कार्रवाई
एससीओ ने आतंकवाद, अलगाववाद और चरमपंथ के खिलाफ अपनी मजबूत प्रतिबद्धता दोहराई और इस बात पर जोर दिया कि इन तत्वों का निजीस्वार्थों के लिए इस्तेमाल करना पूरी तरह से अस्वीकार्य है. घोषणापत्र में कहा गया कि सदस्य देश मानते हैं कि आतंकवाद और चरमपंथ के खतरों सेनिपटने में संप्रभु देशों और उनकी सक्षम एजेंसियों की भूमिका सबसे अहम है. सदस्य देश हर प्रकार के आतंकवाद की निंदा करते हैं और इस बात परबल देते हैं कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में दोहरा मापदंड नहीं अपनाया जाना चाहिए. वे अंतरराष्ट्रीय समुदाय से आह्वान करते हैं कि आतंकवाद, विशेषकर सीमापार आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होकर कार्रवाई की जाए. एससीओ ने यह भी कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में संयुक्तराष्ट्र की भूमिका बेहद अहम है और सभी देशों को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों और वैश्विक आतंकवाद विरोधी रणनीति को पूरी तरह लागूकरना चाहिए, ताकि सभी आतंकी संगठनों के खिलाफ मिलकर कार्रवाई की जा सके.

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