
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी असंगठित कामगार के प्रकोष्ठ के चेयरमैन, पूर्व सांसद डॉ0 उदित राज जी ने आज प्रदेश कांग्रेस कार्यालय लखनऊ मेंप्रेसवार्ता को सम्बोधित किया. प्रेसवार्ता में उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी मीडिया विभाग के वाइस चेयरमैन मनीष श्रीवास्तव हिंदवी, राजकुमार तिवारी, डॉ0 अंशू एन्थोनी, विनोद पवार,आदित्य राजपूत, विजय भारद्वाज मुख्य रूप से शामिल रहे. प्रेसवार्ता को सम्बोधित करते हुए डॉ उदित राज (पूर्वसांसद), राष्ट्रीय चेयरमैन, असंगठित कामगार और कर्मचारी कांग्रेस (केकेसी) ने प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार कर्मचारीऔर मजदूर विरोधी है. यह सरकार इतना मजदूर विरोधी है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय – धर्म सिंह बनाम उत्तर प्रदेश सरकार (19 अगस्त, 2025) केबावजूद इनके हक पर डाका मार रही है.
उत्तर प्रदेश मंत्रिमंडल ने मंगलवार (2 सितंबर, 2025) को आउटसोर्स सेवा निगम लिमिटेड के गठन को मंजूरी दे दी, जो राज्य में आउटसोर्सकर्मचारियों को तीन साल के लिए 16,000-20,000 रुपये के मासिक मानदेय पर नियुक्त करेगा सरकार के कुल 93 विभागों में 11 लाखआउटसोर्स्ड कर्मचारी प्रभावित होंगे जबकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार इन्हें 2002 से सारे लाभ के साथ इन्हें नियमित करना था. कंपनीअधिनियम की धारा 8 के अंतर्गत तथाकथित उत्तर प्रदेश आउटसोर्स सेवा निगम लिमिटेड के गठन के निर्णय का विरोध कांग्रेस पार्टी करती है. यहकदम संविदा शोषण को वैध बनाने और लाखों श्रमिकों को असुरक्षित, कम वेतन वाली और असुरक्षित परिस्थितियों में धकेलने का एक व्यवस्थितप्रयास है.
1. आउटसोर्स कर्मचारियों को नियमित करने और उन्हें समान कार्य के लिए समान वेतन प्रदान करने के बजाय, योगी सरकार ने एक ऐसी व्यवस्थाबनाई है जो असुरक्षित नौकरियों को वैध बनाती है, स्थायी रोजगार से वंचित करती है, और राज्य को अपने कार्यबल के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी से मुक्तकरती है.
2. भारत का संविधान और श्रम न्यायशास्त्र श्रमिकों की गरिमा की रक्षा करते हैं। बिना किसी कैरियर प्रोन्नति के, वेतन को ₹16,000-₹20,000 तकसीमित करने का निर्णय, सरकारी तंत्र को चलाने वाले श्रमिकों के बलिदान का अपमान है।
3. “पारदर्शिता और कल्याण” का नारा खोखला है। प्रत्यक्ष बैंक हस्तांतरण या औपचारिक अनुबंध नौकरी की सुरक्षा, पेंशन, चिकित्सा देखभाल औरसामाजिक सुरक्षा का विकल्प नहीं हो सकते आपका निर्णय प्रभावी रूप से 11 लाख श्रमिकों को बंधुआ निर्भरता की स्थिति में रखता है, बिना ऊपरकी गतिशीलता की गुंजाइश के.
4. जबकि केंद्र और भाजपा “विकसित भारत” और “अमृत काल” का दावा करते हैं, जमीनी हकीकत आउटसोर्सिंग का यह प्रतिगामी मॉडल है।कल्याण के बजाय, आप जिम्मेदारी आउटसोर्स कर रहे हैं और श्रमिकों के जीवन की कीमत पर कॉर्पोरेट लाभ सुनिश्चित कर रहे हैं.
5. हाल ही में, उत्तर प्रदेश सरकार कर्मचारियों के नियमितीकरण से संबंधित एक मामले में सुप्रीम कोर्ट में हार गई है। उस फैसले की भावना का पालनकरने और स्थायी नियुक्तियों की ओर बढ़ने के बजाय, उ.प्र. सरकार एक आउटसोर्सिंग निगम बनाकर ध्यान भटका रही है. यह श्रमिकों को नियमितसेवा के उनके वैध अधिकार से वंचित करने का एक सीधा प्रयास है.
डॉ उदित राज ने कहा कि 6 सितंबर 2011 को मायावती जी की सरकार ने उप्र में अनुसूचित जाति/ जन जाति के लिए बने छात्रावासों में से 30% सामान्य वर्ग के लिए आदेश निकाल दिया था. उ.प्र. में करीब 266 हॉस्टल हैं, ज्यादातर कांग्रेस की सरकारों ने बनाए थे। अनुसूचित जाति / जनजातिके छात्र आंदोलन कर रहे हैं कि उनके लिए छात्रावास कम पड़ रहे हैं इसलिए 30% काटे गए निरस्त हों. आबादी बढ़ी है और उसके अनुपात में छात्र भीबढ़े हैं और ऐसे में अनुसूचित जाति/ जनजाति के लिए और हॉस्टल बनने चाहिए. पिछड़े वर्ग की आबादी सर्वाधिक है तो इनके लिए राम मनोहरलोहिया, ज्योतिबा फुले, सावित्री बाई फुले , फातिमा शेख, पेरियार आदि के नाम से हज़ारों हॉस्टल बनाना चाहिए.